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राजस्थान: कोटा के सबसे बड़े अस्पताल में 48 घंटे में 10 बच्चों की मौत

राजस्थान के कोटा स्थित एक अस्पताल में 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है. कोटा के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु अस्पताल जेके लोन में पिछले 2 दिन में 10 बच्चों की मौत हो गई.

जेके लोन अस्पताल (फाइल फोटो) जेके लोन अस्पताल (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • कोटा,
  • 25 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

  • कोटा के अस्पताल में 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत
  • सभी बच्चे अस्पताल के एनआईसीयू में भर्ती थे

राजस्थान के कोटा स्थित एक अस्पताल में 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है. कोटा के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु जेके लोन अस्पताल में पिछले 2 दिन में 10 बच्चों की मौत हो गई. यह सभी बच्चे एनआईसीयू में भर्ती थे.

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इस मामले पर जेके लोन अस्पताल में के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉक्टर बेरवा ने बताया कि तीन-चार बच्चों की रोजाना डेथ एक एवरेज है. वहीं, पूरे साल में बच्चों की मृत्यु को देखा जाए तो यह और सालों की अपेक्षा इस महीने में कम मौतें हुई हैं.

बैरवा ने बताया जिन 10 बच्चों की मौत हुई है, उसमें 5 न्यू बोर्न बेबी हैं, जिनको जन्म लेते ही दिक्कत हो गई थी. वहीं, 5 बड़े बच्चे हैं इनमें 3 बच्चे दूसरे निजी अस्पतालों से रेफर होकर आए थे. जेके लोन अस्पताल कोटा संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल होने की वजह से यहां पर आसपास के जिलों के एमपी तक के बच्चे आते हैं.

जेके लोन अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि हमने शिशु रोग विभागाध्यक्ष को बोल दिया है व एक कमेटी बना दी गई है. बच्चों की मौत की ऑडिट होती है, इसमें कोटा की डेथ रेट राजस्थान में सबसे कम है. हमने अस्पताल प्रशासन से पिछले साल हुई मौतों के आंकड़े लिए. उसमें 2014 में 15719 बच्चे भर्ती हुए थे जिसमें 1198 बच्चों की मौत हुई. 2015 में 17579 बच्चों में 1260 बच्चों की डेथ हुई थी. पिछले साल 2018 में 16436 बच्चे भर्ती हुए थे जिसमें 1005 बच्चों की डेथ हुई.

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विरोध में जेके लोन अस्पताल के बाहर प्रदर्शन

उन्होंने कहा, इस वर्ष 2019 में 16892 बच्चे भर्ती हुए हैं इनमें से 940 बच्चों की डेथ हो चुकी है. पिछले 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत होने के विरोध में आज कुछ बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जेके लोन अस्पताल में प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया.

जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक ने कहा, 'हमने जब जेके लोन अस्पताल में हालात का जायजा लिया तो पाया कि ओपीडी में केवल एक डॉक्टर बच्चों को देख रहे थे और बच्चों को लेकर परिजनों की लंबी कतार लगी हुई थी. हमने जब बच्चों के परिजनों से बात की तो उन्होंने बताया कि हमें यहां पर लाइन में लगे बहुत समय हो गया है. हमारा नंबर बहुत देर में आ रहा है. ऐसे में हमें बच्चों को लेकर लाइन में खड़े रहने में बहुत दिक्कतें हो रही हैं.'

अधीक्षक जब अस्पताल के एनआईसीयू में गए तो वहां पर एक जगह छत से गंदा पानी टपक रहा था. ऐसी लापरवाही भी जरूर कुछ बच्चों में संक्रमण फैला सकती है. इस पर अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि आज क्रिसमस की छुट्टी होने की वजह से ओपीडी में एक ही डॉक्टर की ड्यूटी थी.

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