
उत्तर पूर्वी दिल्ली के मानसरोवर पार्क इलाके में हमेशा की तरह एक कैश-वैन एटीएम में रुपए डालने पहुंची थी. लेकिन इससे पहले कि रुपये डाल कर वैन आगे बढ़ती अचानक ही तीन हथियारबंद बदमाशों ने वैन को घेर लिया और गन प्वाइंट पर 37 लाख 50 हजार रुपये लूट लिए. दिन दहाड़े हुई इस वारदात ने सबको चौंका दिया. अब इस वारदात को कई साल बीत चुके हैं, लेकिन लुटेरों का कोई सुराग नहीं है.
दिल्ली के कमला नगर इलाके में भीड़ भरे बाजार में जिंदगी अपनी रफ्तार पर थी. तभी अचानक चली गोलियों की आवाज से लोग चौंक गए. लेकिन इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते, बाजार के बीचों-बीच लगे एक एटीएम में कैश भरने के दौरान सिक्योरिटी गार्ड का कत्ल कर बदमाश डेढ़ करोड़ रुपए लेकर रफूचक्कर हो गए. कोई व्यक्ति न तो बदमाशों का चेहरा देख सका और न ही गाड़ी का नंबर पहचान सका. लेकिन पास में लगे सीसीटीवी कैमरे में बदमाशों की ये तस्वीरें कैद हो गईं. लेकिन ये मामला भी अब तक अनसुलझा है.
दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में एसआईएस सिक्योरिटी एजेंसी की एक कैश वैन साढ़े 22 करोड़ रुपये लेकर पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी से ओखला के लिए चली थी, लेकिन श्रीनिवासपुरी से गोविंदपुरी के बीच ही ड्राइवर सारी की सारी रकम लेकर गायब हो गया. ये दिल्ली में इस तरह की लूट की सबसे ताजी और सबसे बड़ी वारदात थी. चूंकि मामला बड़ा था, पुलिस ने सारी ताकत झोंक दी और अगले दिन सूरज निकलने से पहले ही वैन का ड्राइवर पूरे कैश के साथ पकड़ लिया गया.
इन्हीं वारदातों के बहाने दिल्ली समेत देश के तमाम हिस्सों में एटीएमों की सुरक्षा और उनमें रुपए डालने के तौर-तरीकों पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए कि एटीएम में रुपए डालने के कायदे-कानून क्या हैं? क्योंकि ये मामला सिर्फ रुपयों की लूट या अमानत में ख्यानत का नहीं है, बल्कि ऐसी ही लूट की वारदातों में अब तक देश में सैकड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. हम सभी हर हफ्ते कम से कम एक बार किसी ना किसी एटीएम का रुख जरूर करते हैं. हालांकि एटीएम ने कतार में खड़े होकर बैंक से रुपए निकालने के झमेले से भी सबको आजाद कर दिया. साथ ही ऐसे ट्रांजेक्शन के दौरान में बैंक में होने वाली गुनाह की वारदातों में भी कमी आई है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक बैंक से एटीएम में रुपये पहुंचने और उसे आपकी और हमारी जेब तक पहुंचने का रास्ता कहां से होकर गुजरता है? बैंक इतने रुपए कहां और कैसे रखता है? एटीएम में हर रोज़ कितनी रकम भरी जाती है? इसी तरह रास्ते में कोई बदमाश कभी पब्लिक मनी लूट ले जाता है, तो उसकी भरपाई कैसे होती है?
इस मामले को समझने के लिए मोटे तौर पर रुपयों के ट्रांजेक्शन में ऐसी सिक्योरिटी एजेंसीज का रोल समझ लेते हैं-
बैंक में जो रुपए जमा होते हैं, तमाम हिसाब-किताब के बाद बैंक उन्हीं रुपयों को एटीएमों में भरने के लिए भेजता है. लेकिन ये काम बैंक खुद नहीं करता बल्कि सुरक्षा संबंधी बातों को ध्यान में रखते हुए ऐसे ही सिक्योरिटी कंपनियों को आउटसोर्स करता है. ये कंपनियां रुपए बैंक से कलेक्ट करने से लेकर उन्हें अपनी हिफाजत में रखने और उन्हें अलग-अलग एटीएमों में भरने का पूरा काम करती हैं. गुरुवार को भी एसआईएस कंपनी की जिस कैश वैन को लेकर ड्राइवर भाग निकला था, वो कैश वैन कुछ ऐसे ही एक्सिस बैंक के चेस्ट से रुपए लेकर उसे ओखला वाले दफ्तर में ले कर जा रही थी, जिन्हें आगे अलग-अलग एटीएम सेंटर तक पहुंचाया जाना था. लेकिन इसी बीच रास्ते में ही खेल हो गया.
बैंकों से रुपए इकट्ठा करने और उन्हें अलग-अलग एटीएम सेंटरों तक पहुंचाने का ये पूरा सिस्टम अपने आप में बहुत अहम है. दिल्ली समेत पूरे देश में लगे एटीएमों की तादाद और उसमें भरे जाने वाले रुपयों के हिसाब से इसका पता लगता है. मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली में ही दस हजार एटीएम हैं. जबकि पूरे देश में अलग-अलग बैंकों के लगभग एक लाख अस्सी हजार एटीएम लगे हैं.
देश भर में बैंक ऐसे ही सिक्योरिटी एजेंसियों की मदद से हर रोज करीब 25000 करोड़ रुपये एटीएम में डालते हैं. देश भर में अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियां ये काम 8 हजार जीपीएस मॉनिटर्ड कैश-वैन की मदद से करती हैं. लेकिन इतने संवेदनशील काम के लिए सरकार की ओर से आजतक कोई भी नियम कानून नहीं बनाया गया है. यानी सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा है.