
सिक्योरिटी रिसर्चर जिसने कुछ महीने पहले खतरनाक मैलवेयर रैंन्समवेयर वानाक्राई पर लगाम लगाई उसे एफबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. मार्कस हैकर्स कॉन्फ्रेंस डेफ कॉन में शिरकत करने लास वेगस आए थे. लास वेगस एयरपोर्ट से एफबीआई ने उन्हें हिरासत में लिया.
गौरतलब है कि 22 वर्षीय मार्कस हचिन्स ब्रिटेन के रहने वाले हैं और एक हैकिंग कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने लास वेगस आए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस डिपार्टमेंट के प्रवक्ता ने कहा है कि उन्हें कोरोन्स बैंकिंग ट्रोजन बनाने और उसे डिस्ट्रिब्यूट करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है.
प्रवक्ता के मुताबिक हचिन्स के खिलाफ जुलाई 2014 और जुलाई 2015 में मामला दर्ज किया गया था जिसे लेकर अभी गिरफ्तारी हुई है.
आपको बता दें मार्कस हचिन्स ट्विटर पर मैलवेयर टेक ब्लॉग अकाउंट चलाते हैं . जब दुनिया भर में वानाक्राई मैलवेयर तेजी से अपना पांव पसार रहा था तब उन्होंने गलती से इस पर लगाम लगाया और इसकी चपेट में आने से ब्रिटेन की सबसे बड़ी हेल्थ सर्विस NHS को बचाया.
हचिन्स को डेफ कॉन में शिरकत करने के लिए इन्वाइट भेजे गए थे. हालांकि यह कॉन्फ्रेंस पिछले हफ्ते ही थी, लेकिन हचिन्स वो घुमने के लिए कुछ ज्यादा दिन रह गए. कॉन्फ्रेंस के अलावा उन्होंने कई पार्टियां अटेंड की, शूटिंग किया और जब वापस जाने लगे तो उन्हें हिरासत मे लिया गया.
क्या है पूरा मामला
मई में वानाक्राई मैलवेयर की वजह से दुनिया भर के सैकड़ों देशों के लाखो कंप्यूटर्स प्रभावित हुए. इस साइबर अटैक की वजह से अमेरिकन मल्टिनेशल कूरियर डिलिवरी सर्विस FedEx के कंप्यूटर्स को भी नुकसान हुआ है कंपनी के मुताबिक, उन्हें भी वैसे ही साइबर अटैक का सामना करना पड़ रहा है, जैसे ब्रिटेन के हॉस्पिटल्स में हो रहा है. इस अटैक का असर रूस में ज्यादा दिख रहा है.
ब्रिटेन और स्पेन उन देशों में जिन्होंने सबसे पहले इस साइबर अटैक को आधिकारिक तौर पर माना.
Windows XP की वजह हुआ ये बड़ा साइबर अटैक
आपको बता दें कि यह साइबर अटैक Windows कंप्यूटर्स में हुआ और खास कर उनमें जिनमें XP है. ब्रिटेन के जिन अस्पतालों के कंप्यूटर्स हैक हुआ थे , उनमें ज्यादातर Windows XP पर चलते थे. माइक्रोसॉफ्ट ने इस ऑपरेटिंग सिस्टम का सपोर्ट पहले ही बंद कर दिया है, इसलिए इसे यूज करना किसी चुनौती से कम नहीं है. भारत भी इसकी चपेट में आया जिसकी बाद टीसीएस जैसी बड़ी कंपनियों ने विंडोज एक्सपी पर चलने वाले कंप्यूटर्स को अपग्रेड किया.