
भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए मैरीटाइम क्लस्टर बनाना महत्वपूर्ण है. यह बात जहाजरानी मंत्रालय के सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत तैयार प्रारूप रिपोर्ट में कही गई है. तटीय आर्थिक क्लस्टरों के बंदरगाहमुखी औद्योगिक विकास के बारे में रिपोर्ट में तमिलनाडु और गुजरात में दो मैरीटाइम कलस्टरों की पहचान हुई है जो जापान और दक्षिण कोरिया के सफल क्लस्टरों के समान हैं.
पूरी दुनिया में जहाज निर्माण के बाजार पर चीन, कोरिया और जापान का दबदबा है. ये देश विश्व की जहाज निर्माण क्षमता का 90 प्रतिशत पूरा करते हैं. अतिरिक्त क्षमताओं में कमी के बावजूद इस मांग के 2025 तक 150 एमएनडीडब्ल्यूटी तक और 2035 तक 300 एमएनडीडब्ल्यूटी होने की आशा है. इससे वैश्विक निर्यात में वृद्धि होगी.
लागत अंतर भार में आएगी कमी
रिपोर्ट के अनुसार विश्व के जहाज निर्माण व्यापार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.45 प्रतिशत है और भारत का लक्ष्य 2025 तक 3-4 एमएनडीडब्ल्यूटी है. भारत सरकार
की हाल की नीतियों और कार्यक्रमों से भारतीय शिपयार्ड द्वारा वहन किए जा रहे लागत अंतर भार में कमी आएगी. परिणामस्वरूप रक्षा क्षेत्र में अवसर, तटीय जहाजरानी
में वृद्धि और वर्तमान जहाज बेडे को बदलने से भारत में जहाज निर्माण उद्योग में वृद्धि होगी.
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा मौका
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2025 तक समग्र जीडीपी में मैरीटाइम सेवाओं का 0.2 प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य तय कर सकता है. 2025 तक अनुमानित 6
ट्रिलियन डॉलर जीडीपी और 50 प्रतिशत की सेवा की हिस्सेदारी से मैरीटाइम सेवा उद्योग 2025 तक 6 बिलियन डॉलर का हो सकता है. पांच हजार करोड़ रुपए का
मैरीटाइम क्लस्टर के लिए सहायक बाजार की भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विशाल अवसर है.
समुद्री उत्पादों को विकसित करने की संभावना
इस क्षमता के साथ गुजरात और तमिलनाडु भारत के लिए प्रमुख मैरीटाइम क्लस्टर के रूप में उभर सकते हैं. इनमें जहाज निर्माण तथा सहायक सेवाओं, मैरीटाइम
सेवाओं, मैरीटाइम पर्यटन प्रोत्साहन तथ समुद्री उत्पादों को विकसित करने की संभावना है. गुजरात में मैरीटाइम क्लस्टर वर्तमान पारिस्तिथिकी प्रणाली और हजीरा से स्टील की सप्लाई की क्षमता का लाभ उठा सकता है. यह पीपावाव, दाहेज और हजीरा बंदरगाहों और अलंग स्थित जहाज नष्ट करने के यार्ड का भी उपयोग कर सकता है.
कलस्टर विकास के लिए देखी गई 100 एकड़ जमीन
क्लस्टर में वर्तमान शिपयार्ड, भावनगर स्थित सहायक क्लस्टर, अहमदाबाद/गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (जीआईएफटी) तथा गुजरात मैरीटाइम बोर्ड द्वारा चिन्हित मछली पहुंचने वाले केंद्र शामिल होंगे. तमिलनाडु में मैरीटाइम क्लस्टर का विकास चेन्नई के निकट किया जाएगा, क्योंकि वर्तमान शिपयार्ड, प्रमुख बंदरगाह, स्टील क्लस्टर, ऑटोमोटिव तथा इंजीनियरिंग उद्योग, विश्वविद्यालय और कॉलेज जैसी सुविधाएं निकट है. तमिलनाडु में क्लस्टर विकास के लिए कामराजार पोर्ट लिमिटेड की 100 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है. यह जगह कट्टुपल्ली बंदरगाह और शिपयार्ड से पास है.
इन सुधारों की हुई बात
इन दोनों मैरीटाइम क्लस्टरों से मैरीटाइम उद्योग से व्यवसाय आकर्षित किया जा सकता है और क्लस्टर भागीदारों की अर्थव्यवस्था में सुधार किया जा सकता है.
रिपोर्ट में भारत को समुद्री पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए उपयुक्त मानते हुए एक्यूरियम, वाटर पार्क, मैरीन संग्रहालय, क्रूज पर्यटन तथा वाटर स्पोर्टस को
बढ़ावा देने की सलाह दी गई है. मछलीपालन उद्योग से रोजगार मिलेगा और राज्य की समुद्री अर्थव्यवस्था में समग्र सुधार आएगा. रिपोर्ट में समुद्री राज्यों में 14
सीईजेड और सागरमाला के अंतर्गत औद्योगिक क्लस्टरों के माध्यम से देश का बंदरगाहमुखी औद्योगिक विकास की भी चर्चा की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि
सीईजेड के स्पर्धी स्थिति से लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और भारतीय व्यवसाय विश्व में स्पर्धी होगा. प्रस्तावित सीईजेड भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के
अंतर्गत मैन्युफैकचरिंग और औद्योगिकरण को बल प्रदान करेंगे.
शिपिंग मंत्रालय की वेबसाइट पर मिलेगी रिपोर्ट
सागरमाला की व्यापकता को देखते हुए शिपिंग मंत्रालय नोडल मंत्रालय के रूप में बंदरगाहमुखी विकास कार्यक्रम चला रहा है. मंत्रालय कार्यशालाओं के माध्यम से
हितधारकों तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है और परियोजना विकास परामर्शदाताओं से भी विचार-विमर्श कर रहा है. रिपोर्ट शिपिंग मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी की गई
है.