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Film Review: सरल और आशावादी है 'मसान'

कई फिल्म समारोहों में धूम मचाने के बाद आखिरकार फिल्म 'मसान' सिनेमाघरों में रिलीज होने को तैयार है. मसान का मतलब 'समय' होता है, और समय के साथ-साथ होने वाली घटनाओं को इस फिल्म के माध्यम से दर्शाया गया है.

फिल्म 'मसान' का सीन फिल्म 'मसान' का सीन
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 20 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 7:22 PM IST

फिल्म का नाम: मसान
डायरेक्टर: नीरज घैवन
स्टार कास्ट: ऋचा चड्ढा, विकी कौशल .श्वेता त्रिपाठी , संजय मिश्रा, सौरभ चौधरी
अवधि:
109 मिनट
सर्टिफिकेट: A
रेटिंग: 3.5 स्टार

कई फिल्म समारोहों में धूम मचाने के बाद आखिरकार फिल्म 'मसान' सिनेमाघरों में रिलीज होने को तैयार है.   समय के साथ-साथ होने वाली घटनाओं को इस फिल्म के माध्यम से दर्शाया गया है. अब क्या यह फिल्म आपको  देखने के लिए विवश करेगी या नहीं आइए जानते हैं...

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कहानी
इस फिल्म में बनारस शहर में गंगा के किनारे दो अलग अलग कहानियों का समागम दिखाया गया है. एक तरफ देवी पाठक (ऋचा चड्ढा) अपने करीबी दोस्त की मृत्यु के जुर्म में फँस जाती हैं और उन्हें इससे उबारने के लिए पिता विद्याधर पाठक (संजय मिश्रा) हर कदम साथ देने को तैयार रहते हैं वहीँ दूसरी तरफ डॉक्टर चौधरी (विनीत कुमार) को शालू गुप्ता (श्वेता त्रिपाठी) से प्यार है लेकिन उस प्यार में भी कई रुकावटें हैं. अब ये दोनों कहानियां एक दूसरे के साथ आगे बढ़ती जाती हैं और आखिरकार डायरेक्टर अाशावादी निष्कर्ष के साथ फिल्म का अंत करते हैं.

स्क्रिप्ट, अभिनय, संगीत
 फिल्म की स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले काफी दिसचस्प है जिसकी वजह से रेगुलर रिलीज में इस फिल्म को देखना आवश्यक है. फिल्म वैसे तो मात्र 109 मिनट की है लेकिन इतने से समय में ही यह जीवन की कई सच्चाइयों को बयां करती है. एक पिता जो अपनी बेटी के उज्जवल भविष्य के लिये किसी भी हद तक जाता है वहीं एक मध्यम वर्ग का लड़का एक उच्च वर्ग की लड़की से प्यार भी करता है. डायरेक्टर ने बनारस शहर और गंगा तट के करीब घटने वाली घटनाओं को भी बड़े सरल ढंग से दर्शाया है. संजय मिश्रा और ऋचा चड्ढा के कुछ ऐसे सीन हैं जो जरूर आपको सोचने पर विवश कर देते हैं. वहीं जहां कुछ सीन्स के चलते आपकी आंखे नम हो जाएंगी वहीं कुछ एक सीन हंसाने की कोशि‍श भी करेंगे. अभिनय में एक बार फिर से ऋचा चड्ढा ने साबित कर दिया है की वो एक बेहतरीन अदाकारा है, हरेक सीन में वो खुद को बेहतर साबित करती हैं. वहीं संजय मिश्रा ने एक पिता के रूप में उम्दा काम किया है. इनके अलावा श्वेता त्रिपाठी और विनीत कुमार का भी एक्ट काबिल-ए-तारीफ है. हालांकि पंकज त्रिपाठी का कोई बड़ा रोल नहीं है लेकिन एक दफा उनकी भी बात पर हंसी आ ही जाती है. इस फिल्म से डेब्यू करने वाले विकी कौशल की एक्टिंग भी काफी आशाजनक है.
फिल्म का संगीत खास तौर पर 'मन कस्तूरी रे' वाला गीत और बैकग्राउंड में चल रही धुन, मौके की नजाकत से इत्तेफाक रखती है.

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क्यों देखें
अगर आपको फिल्म समारोह की संजीदा फिल्में काफी पसंद हैं और जीवन की आपा- धापी को अगर आप और करीब से निहारना चाहते हैं तो यह फिल्म आप जरूर देखें.

क्यों ना देखें
अगर आप सिर्फ कामर्शियल या फूहड़ता से भरी फिल्मों के आदि है, तो मसान ना देखे.

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