
जम्मू कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार ने पहला बड़ा फैसला लेते हुए अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहा कर दिया है. जेल से छूटते ही मसरत आलम ने कहा कि छोटी जेल से बड़ी जेल में आ गए. आलम ने कश्मीर की तुलना बड़ी जेल से की. आलम की रिहाई से नाराज बीजेपी ने पीडीपी से इस बाबत कड़ा विरोध जताते हुए बैठक बुलाई है.
आलम ने कहा कि सरकार बदलने से जमीनी हकीकत नहीं बदलती हैं. मैंने अपने बचपन से लेकर आज तक ज्यादातर वक्त जेल में बिताया. अगर मैं दोबारा जेल भेज दिया गया तो मुझे इसमें भी हैरानी नहीं होगी. जेल से निकलने के बाद मैं राहत महसूस कर रहा हूं. मेरी रिहाई कानूनी प्रक्रिया का पालन कर हुई है. महबूबा मुफ्ती ने आलम की रिहाई पर कहा था कि गठबंधन से ज्यादा जरूरी चुनावी वादे पूरे करना है.
आलम की रिहाई के बाद बीजेपी की बैठक
राजनीतिक कैदी मसरत आलम की रिहाई से नाराज बीजेपी ने रविवार को बैठक बुलाई. बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष जुगल किशोर ने कहा कि मसरत की रिहाई पर पीडीपी ने बीजेपी को अंधेरे में रखा. जुगल किशोर ने बताया कि बैठक में मसरत की रिहाई को गंभीरता से लिया गया है. किशोर ने ये भी कहा कि राज्य में सरकार चलाना बीजेपी और पीडीपी दोनों की जिम्मेदारी है और बीजेपी इस मामले में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी. सूत्रों के
मुताबिक, बीजेपी के शीर्ष नेता आलम की रिहाई ने खुश नहीं हैं.
मसरत आलम की रिहाई पर कांग्रेस की चुटकी
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि क्या
मसरत आलम बीजेपी के राष्ट्रवाद का नया चेहरा है.