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तीन दिन के इंतजार के बाद मथुरा हिंसा के दोषी रामवृक्ष यादव का पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया. रामवृक्ष के साथ ही हिंसा में मारे गए उसके 24 साथियों का भी अंतिम संस्कार कर दिया गया है. जानें आखिर किसकी मदद से बना रामवृक्ष मथुरा में गुनाहों का राजा.
1. यूपी सरकार ने कब्जा हटाने के दौरान ज्यादा फोर्स देने में कोताही बरती.
2. मथुरा प्रशासन ने यूपी सरकार को पहली चिट्ठी 11 फरवरी 2015 को भेजी थी. इसमें बताया गया था कि जवाहर बाग के अंदर हालात खतरनाक है.
3. दूसरी चिट्ठी 29 सितंबर 2015 को भेजी गई, इस पर भी कोई सुनवाई सरकार की ओर से नहीं हुई.
पढ़िए: कैसे मारा गया था मथुरा हिंसा का मास्टरमाइंड रामवृक्ष
4. विजयपाल तोमर, पीआईएल लगाने वाले ने कंटेप्ट ऑफ कोर्ट की पिटीशन दायर की. इसके बाद 20 फरवरी 2016 को फिर डीएम की ओर से लखनऊ चिट्ठी भेजी गई.
5. लखनऊ से अदालत की अवमानना से बचने के लिए फोर्स तो दे दी गई पर वो पर्याप्त नहीं थी.
पढ़ें: शिवपाल यादव को क्यों बर्खास्त करवाना चाहते हैं बीजेपी नेता6. मथुरा में रामवृक्ष के भंडार से एक रजिस्टर मिला है, जिससे साफ हुआ कि इन्हें नक्सलियों से बड़ी आर्थिक मदद मिलती थी.
7. रजिस्टर के मुताबिक रामवृक्ष को ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ से लाखों की मदद मिलती थी.
8. रजिस्टर के 20 से ज्यादा पन्नों में भंडारे में खर्च होने वाली लाखों की राशि का जिक्र.
9. जवाहरबाग में लगाए गए तिरपाल पर दास लाख से ज्यादा खर्च हुआ था.
10. उड़ीसा के रंगलाल राठौड़ से हर महीने 22 लाख रुपये मिलने का जिक्र है.