
नवजात शिशु की मौत के बाद दिल्ली सरकार द्वारा मैक्स हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है. शनिवार को डीएमए से प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि सरकार का फ़ैसला गलत है. उन्होंने कहा कि किसी एक डॉक्टर की ग़लती की सज़ा पूरे अस्पताल को नहीं मिल सकती. इस मुद्दे पर उस आज तक ने उस पीड़ित परिवार से बात की, जिनके ज़िंदा बच्चे को मृत घोषित कर परिवार को सौंप दिया गया था.
बच्चों के पिता आशीष का कहना है कि हम दिल्ली सरकार के फ़ैसले से बहुत ख़ुश हैं. ये एक ऐतिहासिक फ़ैसला है. सरकार ने ये फ़ैसला सोच समझ कर ही लिया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने ना सिर्फ़ हमारे केस को लेकर ये सब किया है बल्कि नवंबर में ही ईडब्ल्यूएस को लेकर सरकार ने मैक्स अस्पताल को नोटिस भेजा था. अब इतनी बड़ी लापरवाही के बाद सरकार ने अगर ये फैसला लिया है तो इसमें ग़लत क्या है.
घर का चिराग़ बुझ गया ये दर्द हम ही समझ सकते हैं
मृत बच्चों के पिता आशीष ने कहा कि 3 साल पहले मेरी शादी हुई थी. ये पहला मौक़ा था जब मैं पिता बना था लेकिन मैक्स अस्पताल वालों ने हमारे जीवित बच्चे को ही मृत घोषित कर हमें सौंप दिया. मेरा बेटा 3 घंटे बिना इलाज के रहा. उसे पैक कर दिया गया था. जब उसने ले जाते वक़्त गाड़ी में हरकत की तो हमने जैसे ही उसे खोला तो उसने एक लंबी सांस ली. हमारे रोंगटे खड़े हो गए. जब हम दूसरे अस्पताल में उसे लेकर गए तो वो 6 दिन तक ज़िंदा रहा. वहां के डॉक्टर का कहना था कि अगर इस बच्चे को इलाज मिला होता तो शायद वो बच जाता.
तो क्या दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाएं होंगी ठप?
इस मुद्दे को लेकर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि अगर सरकार ने मैक्स हॉस्पिटल को लाइसेंस वापिस नहीं दिया तो हम हड़ताल करेंगे. अब ये लड़ाई सीधे तौर पर सरकार और डीएमए के सामने है. देखना होगा की आगे सरकार क्या क़दम उठती है.