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योगी सरकार के एक साल पूरा होने पर मायावती ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर निशना साधा है. मायावती ने यूपी की बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि योगी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का 1 साल का कार्यकाल 'एक साल, बुरी मिसाल' की तरह है. यही वजह रही कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में जनता ने उन्हें सबक सिखाया और भारतीय जनता पार्टी की करारी हार हुई.
मायावती का कहना है कि योगी सरकार ने 1 साल में गरीबों, मजदूरों और बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं किया. जबकि पूजा-पाठ कर्मकांडों में सरकार ने ज्यादा समय बिताया. मायावती ने कहा कि योगी सरकार ने प्रदेश की जनता से वादा खिलाफी की है. जनता को किए गए बड़े-बड़े वादों पर सरकार खरा नहीं उतर पायी है. यही वजह रही कि योगी अपनी परंपरागत सीट गोरखपुर को भी नहीं बचा पाए.
मायावती ने कहा कि प्रदेश में हर स्तर पर अपराध नियंत्रण करने में सरकार विफल हुई है. बुनियादी विकास की जरूरतें धन के अभाव में ठप पड़ी हैं. योगी सरकार केवल अपनी पार्टी के नेताओं (जिन पर दंगों के अपराधिक मुकदमे दर्ज थे) पर मुकदमों को वापस लेने में लगी हुई है.
मायावती का आरोप है कि पुलिस एनकाउंटर में लोगों की हत्या करके कानून व्यवस्था को ठीक करने का दावा किया जा रहा है. जिससे इस बीजेपी सरकार की पक्षपात पूर्ण नीति का पर्दाफाश हो गया है.
मायावती ने एक ब्यान में कहा है कि योगी सरकार में सांप्रदायिक दंगे हुए हैं. ज्यादातर दंगाई या तो सरकार में है या फिर सत्ता का दुरुपयोग करने में व्यस्त हैं. उन पर से दंगों के मुकदमों को वापस लिया जा रहा है. योगी को कम से कम कासगंज के दंगे को तो नहीं भूलना चाहिए.
आरएसएस को आड़े हाथों लेते हुए मायावती ने कहा कि योगी सरकार को आरएसएस के नफरत, जातिवाद और कट्टरवादी हिंदुत्व के तुष्टीकरण के ऐजेंडे को छोड़कर भारत के संविधान के अनुरूप काम करना चाहिए.