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महाराष्ट्र में पवार चाहते हैं बसपा-कांग्रेस के साथ गठजोड़

महाराष्ट्र में पिछले चुनावों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार शरद पवार कांग्रेस के साथ बसपा को जोड़कर बड़ा गठबंधन बनाना चाहते हैं, जिससे भाजपा को नुक्सान होने का अंदेशा सता रहा है.

मायावती मायावती
संध्या द्विवेदी/मनीष दीक्षित
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  • 21 जून 2018,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव से पहले एक नया गठजोड़ बनता दिख रहा है. इस गठबंधन की कोशिश कर रहे हैं राकांपा प्रमुख शरद पवार. महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में लोकसभा की 11 सीटें हैं. 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार राकांपा की कोशिश कांग्रेस के साथ बसपा को जोड़ने की है. जाहिर है इस गठजोड़ को बसपा के मजबूत जनाधार का फायदा होगा. 

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हालांकि, बसपा ने महाराष्ट्र में कोई विधानसभा या लोकसभा सीट पिछले चुनाव में नहीं जीता था पर दोनों चुनावों में उसका वोट प्रतिशत ढाई फीसदी के आसपास रहा है. कर्नाटक में मायावती से गठजोड़ का फायदा जेडी (एस) को मिला है. अब  सीधा अंकगणित यह है कि एनसीपी-कांग्रेस और बसपा को पिछले विधानसभा चुनाव में मिले वोटों को जोड़ा जाए तो ये भाजपा-शिवसेना के कुल योग से तो कम है लेकिन अलग-अलग दोनों से बहुत ज्यादा है. यही वजह है कि कांग्रेस मायावती को लाकर हालिया दलित उभार के माहौल को वोट में बदलना चाहती है.

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 27 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर 23 सीटें जीती थीं और शिवसेना ने करीब 21 फीसदी वोट लेकर 18 सीटें जीतीं. तो अगर विपक्षी गठबंधन सीट शेयरिंग का अचूक फार्मूला लाए तो इनकी सीटों में खासी सेंध लगाई जा सकती है.

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भाजपा-शिवसेना यूं तो स्वाभाविक साझीदार हैं और दोनों का गठजोड़ भी बेहद पुराना है लेकिन प्रदेश में सत्तारूढ़ साथी पार्टी के उपेक्षा भरे रवैए से सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे व्यथित हैं. अकेले चुनाव लड़ने पर अड़ी शिवसेना अगर भाजपा के खिलाफ कोई निर्णायक कदम उठाएगी तो विपक्ष की संभावनाएं बढ़ सकती हैं.

उधर राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने मोदी का विजय रथ महाराष्ट्र में रोकने के लिए पावर दिखाना शुरू कर दिया है. पवार ने प्रधानमंत्री पर हमले की साजिश वाली चिट्ठी को लेकर भाजपा पर हमला बोल दिया और कहा कि  मोदी के लिए भाजपाई सहानभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं.

इतान जरूर है कि सिंहासन बत्तीसी के खेल में महाराष्ट्र में भाजपा की राह आसान नहीं रहने वाली है.

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