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राज्यसभा से इस्तीफे में बड़ी चूक कर गईं BSP प्रमुख मायावती, नहीं होगा मंजूर

नियम के मुताबिक इस्तीफे के साथ न ही कोई कारण बताया जाता है और न ही उस पर कोई सफाई दी जाती है. यानी कोई भी संसद सदस्य इस्तीफा देते वक्त इस्तीफा देने का कारण त्यागपत्र में नहीं लिख सकता.

मायावती ने राज्यसभा सदस्यता से दिया इस्तीफा मायावती ने राज्यसभा सदस्यता से दिया इस्तीफा
जावेद अख़्तर/पाणिनि आनंद
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  • 18 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 7:27 PM IST

राज्यसभा में बोलने की इजाजत न मिलने का हवाला देकर भड़कीं बसपा सुप्रीमो ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. मायावती ने राज्यसभा चेयरमैन के दफ्तर पहुंचकर बाकायदा तीन पेज का इस्तीफा सौंपा. हालांकि, वहां मौजूद कांग्रेस और बीएसपी सांसदों ने उन्हें मनाने की कोशिश की, बावजूद इसके मायावती अपने चैलेंज पर कायम नजर आईं और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. मगर, बड़ा सवाल ये है कि क्या मायावती का इस्तीफा मंजूर होगा?

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ये सवाल दरअसल इसलिए है क्योंकि संसद की सदस्यता से इस्तीफा देने के लिए जो नियम हैं, मायावती ने उनका पालन नहीं किया. नियम ये है कि संसद के दोनों सदनों का कोई भी सदस्य जब अपनी सदस्यता से इस्तीफा देता है तो महज एक लाइन में लिखकर संबंद्ध चेयरमैन या स्पीकर को सौंपना होता है. जबकि मायावती ने जो इस्तीफा राज्यसभा चेयरमैन के ऑफिस जाकर सौंपा वो तीन पन्नों का है.

नियम के मुताबिक इस्तीफे के साथ न ही कोई कारण बताया जाता है और न ही उस पर कोई सफाई दी जाती है. यानी कोई भी संसद सदस्य इस्तीफा देते वक्त इस्तीफा देने का कारण त्यागपत्र में नहीं लिख सकता.

सिद्धू का इस्तीफा भी हुआ था नामंजूर

रोड रेज की घटना में दोषी पाए जाने के बाद 2006 में तत्कालीन लोकसभा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया था. मगर सिद्धू का इस्तीफा तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने नामंजूर कर दिया था. जिसके बाद सिद्धू ने दोबारा बिना कोई कारण बताए अपना त्यागपत्र स्पीकर को दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया.

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कैप्टन अमरिंदर का इस्तीफा भी नहीं हुआ था नामंजूर

नवंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर पर निर्माण कार्य जारी रखने का फैसला दिया था. इस फैसले से नाराज होकर तत्कालीन कांग्रेस सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह लोकसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा भेज दिया था. कैप्टन अमरिंदर ने अपने त्यागपत्र में इस्तीफा देने के कारण की व्याख्या भी की थी, जिसके उपयुक्त न मानते हुए मंजूर नहीं किया गया था.

यानी साफ है कि जिस प्रारूप में मायावती ने अपना इस्तीफा दिया है, वो मंजूर नहीं किया जाएगा.

 

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