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बीजेपी द्वारा प्रायोजित बौद्ध भिक्षु की धम्म चेतना यात्रा पूरी तरह से विफल- मायावती

बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती का कहना है कि दलितों के वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए जो बीजेपी ने बौद्ध भिक्षुओं की धम्म चेतना यात्रा उत्तर प्रदेश में निकलवाई थी वह पूरी तरीके से असफल रही है.

बसपा प्रमुख मायावती बसपा प्रमुख मायावती
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती का कहना है कि दलितों के वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए जो बीजेपी ने बौद्ध भिक्षुओं की धम्म चेतना यात्रा उत्तर प्रदेश में निकलवाई थी वह पूरी तरीके से असफल रही है. मायावती का कहना है कि कानपुर में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा जो इस यात्रा का समापन समारोह किया गया है उसमें अधिकाश बीजेपी और आरएसएस के लोगों को ही नकली दलित बना कर बैठाया गया था. जो अमित शाह ने कानपुर में भाषण दिया है उस से भी बात स्पष्ट हो जाती है कि धम्म चेतना यात्रा का मकसद पूरी तरीके से राजनीतिक व चुनावी लाभ उठाना था.

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मायावती का आरोप है कि बीजेपी ने धर्म को हमेशा राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया है. उनका कहना है कि अमित शाह के प्रोग्राम में दलित वर्ग के लोग शामिल नहीं हुए थे बल्कि अधिकांश बीजेपी और आरएसएस के लोगों को ही नकली दलित बनाकर शामिल कराया गया. जिन बौद्ध भिक्षुओं को सम्मानित करने की बात की गई है. उनमें से ज्यादातर बीजेपी और आसएसएस के लोग नकली बौद्ध भिक्षु बने हुए थे.

मायावती का कहना है एक तरफ बीजेपी और आसएसएस के लोग दलितों और पिछड़ों को उनके आरक्षण की सुविधा को समाप्त करने का लगातार प्रयास करते आ रहे हैं. सरकारी क्षेत्र की नौकरियों को इन वर्गों के लिए सीमित कर दिया गया है तथा प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देकर दलित व अन्य पिछडे वर्ग के लोगों के लिए नौकरी में दरवाजे बंद कर दिए हैं और प्रमोशन में आरक्षण की पुरानी चली आ रही व्यवस्था पर तो पूरी तरीके से विराम ही लगा दिया गया है. इतना ही नहीं सामाजिक क्षेत्र के साथ-साथ दलित उत्थान की योजनाओं में धन की कटौती कर के उन्हें लगभग निष्प्रभावी ही बना दिया गया है.

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बीएसपी सुप्रीमो को कहना है कि कि बीजेपी द्वारा दलित विरोधी काम करने के बावजूद केवल दलित समाज के लोगों को यहां होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बरगलाने की केंद्र सरकार कोशिश कर रही है. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर अंबेडकर के जीवन से जुड़े कुछ संस्थानों को स्मारक संग्रहालय में परिवर्तित करने की मात्र घोषणा किए जाने से उनका भला होने वाला नहीं है। यह लोग bjp और प्रधानमंत्री मोदी की केवल सहानुभूति नहीं चाहते हैं बल्कि कुछ ठोस कार्रवाई चाहते हैं. भारतीय संविधान में अनेक खासकर समानता बराबरी और आरक्षण के जो कानूनी अधिकार मिले हैं. उनको ये लोग वास्तव में जमीनी हकीकत में सही तौर पर लागू होते हुए देखना चाहते हैं ताकि उनके अपने जीवन में वास्तविक बदलाव आ सके.

मायावती ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी बौद्ध धर्म की बातें व प्रशंसा केवल सस्ती लोकप्रियता के लिए ही करते रहते हैं. जबकि काम गौतम बुद्ध के उपदेशों के विरोध ही करते हैं. उनका कहना है कि बीजेपी और आसएसएस की बहुजन समाज के खिलाफ नफरत की राजनीति का ही परिणाम है कि गौ रक्षा के नाम पर पहले पूरे देश में मुसलमानों का और अब दलितों का काफी उत्पीड़न किया जा रहा है. इस बात का उत्तर प्रदेश का दादरी कांड हरियाणा के मेवात का बिरयानी, बलात्कार काण्ड, गुजरात का उना, व बनासकांठा दलित उत्पीड़न कांड इसके उदाहरण है.

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