
बारिश के बाद हर साल दिल्लीवासियों को मच्छरों की दहशत से जूझना पड़ता है. इस मौसम लोगों के भीतर मच्छरों का डर इस तदर हावी होता है कि लोग हल्के बुखार से भी डरने लगते हैं. डेंगू, मलेरिया और चिकुनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियों की शुरुआत भी बुखार से ही होती है. हालांकि, इस मौसम में निगम की इन बीमारियों से लड़ने की कवायद तेज हो जाती हैं लेकिन ये कवायद काफी नही है. इस सब के बावजूद लोगो मे मच्छरों का डर कम नहीं होता.
आज तक की टीम एमसीडी कर्मचारियों के साथ उन इलाकों में गई जहां निगम के वर्कर्स ब्रीडिंग चेक, स्प्रेयिंग और फॉगिंग की प्रक्रियाएं को अंजाम दे रहे थे. ये प्रक्रियाएं एक टीम के साथ होती हैं. जिसमें ब्रीडिंग चेकर, मलेरिया इंस्पेक्टर, फील्ड वर्कर्स समेत एक वार्ड इंचार्ज होता है. मच्छरों का डर फील्ड में काम करने वाले इन वर्कर्स को भी होता हैं और इसीलिए ये लोग फूल आस्तीन के शर्ट-पैंट और मास्क के साथ ही फील्ड में उतरते हैं. हर गली हर मोहल्ले के हरेक गमले, कबाड़ और छतों पर रुके पानी को ध्यान से देखते हैं और उसमें लार्वा चेक करते हैं.
जिनके घरों में मच्छरों के लार्वा मिलते हैं उनका चालान काटा जाता है. उन पर लार्वा के एरिया के हिसाब फाइन लगाया जाता है. लार्वा और ब्रीडिंग मिलने के बाद ही फॉगिंग की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है.
निगम की ओर से इन महीनों के दौरान तमाम प्रक्रियाओं में तेजी लाई जाती है लेकिन फिर भी हर शख्स के जागरुकता ही इन मच्छरों को पनपने से रोक सकती है. साफ पानी में पनपने वाले ये जानलेवा मच्छर 4 से 5 दिन का समय लेते हैं. लिहाजा, इससे पहले अगर पानी को साफ कर दिया जाए या धूप निकलने पर पानी सूखा दिया जाए तो आधी मच्छर जनित बीमारियां वैसे ही खत्म हो जाएंगी.