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अब दिल्ली में भी दिखेगी चुनावी रंगत

इस बार एमसीडी चुनाव की खास बात ये रहने वाली है कि इस बार कांटे की टक्कर में दो नहीं, बल्कि तीन-तीन पार्टियां होंगी, जिनमें पहली बार एमसीडी चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार भी है.

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कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 4:31 AM IST

दिल्ली की होली इस बार चुनावी होने वाली है, वजह है एमसीडी चुनाव का आगाज. राज्य निर्वाचन आयोग ने दिल्ली की तीनों एमसीडी के लिए वार्डों की तस्वीर साफ कर दी है, जिससे कौन कहां से चुनाव लड़ सकता है इसकी सूरत साफ हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग ने दिल्ली के सभी 272 वार्डों के लिए तय कर दिया है कि कहां-कहां सिर्फ महिलाएं चुनाव लड़ सकती हैं. दिल्ली में एमसीडी में महिलाओं के लिए पचास फीसदी आरक्षण है, मतलब 272 में से 136 वार्ड महिलाओं के लिए रिजर्व कर दिए गए हैं. हालांकि ये पहले से तय था कि इतने वार्डों में सिर्फ महिलाएं ही चुनाव लड़ पाएंगी, लेकिन अब चुनाव आयोग ने उन वार्डों की सूची भी जारी कर दी है जहां से सिर्फ महिला उम्मीदवार ही उतरेंगीं.

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इस घोषणा के बाद अब पार्टी दफ्तरों में भी हलचल बढ़ गई है, क्योंकि जो नेता चुनाव लड़ना चाहते हैं, वो अब टिकट की लामबंदी में जुट गए हैं और जिनके वार्ड आरक्षण में महिला कोटे में चले गए हैं, वो अपनी पत्नी, बेटी और मां के नामों को आगे बढ़ाने में जुट गए हैं. इसके अलावा एससी के लिए रिजर्व वार्डों में बदलाव के चलते भी कई नए समीकरण बन रहे हैं.

मुकाबले में तीन-तीन पार्टियां
लेकिन इस बार एमसीडी चुनाव की खास बात ये रहने वाली है कि इस बार कांटे की टक्कर में दो नहीं, बल्कि तीन-तीन पार्टियां होंगी, जिनमें पहली बार एमसीडी चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार भी है. ऐसे में मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है और गर्मागर्मी वाला भी, क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार है और एमसीडी में भी पिछले दस सालों से बीजेपी का कब्जा है. ऐसे में आरोपों की झड़ी भी लगने वाली है. विधानसभा चुनाव में चारों खाने चित रही कांग्रेस फिर से एमसीडी चुनाव में अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश जरूर करेगी, लेकिन विधानसभा के सदमे से कितनी उबर पाएगी, फिलहाल कहना मुश्किल है.

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होली आते-आते जम जाएगा रंग
बीजेपी ने दिल्ली में पूर्वांचली और झुग्गी वोटों को अपनी तरफ झुकाने के लिए भोजपुरी गायक मनोज तिवारी को दिल्ली इकाई का अध्यक्ष बनाकर नया दांव चलने की कोशिश की है, लेकिन दस साल की सत्ता विरोध लहर का सामना भी उसे करना है, इस पर केजरीवाल और उनकी पार्टी के आरोपों से भी जूझना है. कुल मिलाकर वार्ड आरक्षण के साथ दिल्ली में एमसीडी चुनाव का बिगुल बज गया है, यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव के चलते भले ही इस चुनावी बिगुल की आवाज फिलहाल दब जाए, लेकिन तय है कि होली आते-आते दिल्ली में भी चुनावी रंग जम ही जाएगा.

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