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एमसीडी में नोटिफिकेशन मामला गर्माया, सरकार पर देरी का लगा आरोप

बीते कुछ दिनों से एमसीडी में जोन नोटिफिकेशन का मामला गर्माया हुआ है. अब साउथ एमसीडी की नेता सदन ने दिल्ली सरकार पर जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया है. वहीं कांग्रेस नेता मुकेश गोयल ने नॉर्थ एमसीडी का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग की. मुकेश गोयल के मुताबिक एमसीडी देश का इकलौता निकाय है जहां नई सरकार का गठन हुए तीन महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक औपचारिक रुप से ना तो निगम में काम शुरू हो पाया है.

एमसीडी एमसीडी
रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 5:28 AM IST

बीते कुछ दिनों से एमसीडी में जोन नोटिफिकेशन का मामला गर्माया हुआ है. अब साउथ एमसीडी की नेता सदन ने दिल्ली सरकार पर जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया है. नेता सदन शिखा राय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार पर जोन नोटिफिकेशन को मंजूरी नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के पास तीनों निगमों में एल्डरमैन नियुक्त करने की तो जल्दी थी लेकिन बीते तीन महीनों से बिना समितियों के काम कर रही एमसीडी की फिक्र नहीं है.

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उन्होंने कहा कि जोन समितियों की सूचना एलजी अनिल बैजल ने फाइल क्लीयर कर के दिल्ली सरकार को भेज दी है. वो कहती हैं कि दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग ने भी प्रस्ताव को सही माना है लेकिन इसके बावजूद फाइलों को मंजूरी देकर वापिस निगम के पास नहीं भेजा गया है. इस वजह से साउथ एमसीडी की स्थायी समिति के गठन, विकास कार्य, नीति निर्धारण, जोन समितियों से प्रस्ताव प्राप्त करने और प्रमुख ढांचागत योजनाओं को तैयार कर सदन में रखने का काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल सचिवालय से फाइल वापस आकर दिल्ली सरकार के विधि विभाग में बीते कई दिनों से लंबित है।

उन्होंने बताया कि निगम ने सरकार को जो प्रस्ताव भेजा है वो बहुत सरल है. उसमें कोई नया जोन बनाने का प्रस्ताव नहीं है. बल्कि जीके-2 वार्ड, बिजवासन और चितरंजन पार्क वार्ड के जोन बदले जाने का प्रस्ताव है. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है. शिखा राय ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार इस मुद्दे को राजनितिक रंग देना चाहती है. जबकि एमसीडी टकराव नहीं चाहती.

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मंत्री सत्येंद्र जैन से मिलकर मेयर ने उठाई मांग

नॉर्थ दिल्ली की मेयर प्रीति अग्रवाल ने नॉर्थ एमसीडी कमिश्नर पीके गुप्ता के साथ मंगलवार को दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन से दिल्ली सचिवालय में मुलाकात की और जोन अधिसुचना मामले में जल्द फैसला लेने की मांग उठाई

इससे पहले 4 जुलाई को भी मेयर ने सत्येंद्र जैन से मुलाकात की थी लेकिन उस दौरान कई सवालों पर निगम और सरकार के बीच बात नहीं बन पाई थी और इसलिए बीते रोज निगम की टीम में कमिश्नर, चीफ इंजिनियर और चीफ टाउन प्लानर भी मौजूद थे ताकि सवालों का आमने सामने जवाब दिया जा सके. मेयर ने मंत्री सत्येंद्र जैन को बताया कि एमसीडी में नए सदन का गठन हुए दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हो पाया.

इस मामले में महीने भर पहले मुलाकात के बाद भी जोन नोटिफाई नहीं हुए हैं. मेयर ने सत्येंद्र जैन को बताया कि निगम के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए निगम की वैधानिक समितियों का गठन आवश्यक है और इसके अभाव में नॉर्थ एमसीडी अपने विकास कार्य आगे नहीं बढ़ा पा रही है. मेयर ने सत्येंद्र जैन को बताया कि बेहतर प्रशासन के लिए दो जोन तीन जोनों में पुर्नगठित किए जाएं.

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सत्येंद्र जैन से मिलने के बाद मेयर ने बताया कि सत्येंद्र जैन के साथ उनकी बातचीत सकारात्मक रही और उन्होने अगले 2-3 दिनों में इस पर फैसला लेने का भरोसा दिलाया है. आपको बता दें कि उपराज्यपाल से मिलने के बाद मेयर ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी थी कि इस मुद्दे पर जल्द फैसला नहीं होता है तो नॉर्थ एमसीडी कोर्ट जाएगी.

कांग्रेस ने उठाई अनोखी मांग

नॉर्थ एमसीडी में कांग्रेस के नेता मुकेश गोयल ने मंगलवार को अनोखी मांग की. उन्होने नॉर्थ एमसीडी का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग की. मुकेश गोयल के मुताबिक एमसीडी देश का इकलौता निकाय है जहां नई सरकार का गठन हुए तीन महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक औपचारिक रुप से ना तो निगम में काम शुरू हो पाया है और ना ही कोई पार्षद अपने अपने इलाके में काम कर पा रहा है.

मुकेश गोयल के मुताबिक एमसीडी के गठन से लेकर अबतक इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है इतना वक्त बीत जाने के बाद भी पार्षद बेकार बैठे हैं. गोयल के मुताबिक पार्षद अपने इलाकों में विकास कार्यों के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन जोन फिर से न गठित हो पाने की वजह से जरूरी समितियां नहीं बन पा रही हैं.

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उनके मुताबिक पार्षद जब भी अधिकारियों के पास किसी काम की फाइल लेकर जाते हैं तो अधिकारी टका सा जवाब दे देते हैं कि जोनल और स्थायी समिति के गठन ना होने के कारण वो कुछ नहीं कर सकते क्योंकि किसी भी काम के प्रस्ताव को मंजूरी इन्हीं समितियों से मिलनी होती है. गोयल अब लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड को पत्र लिखने वाले हैं और एमसीडी का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवाना चाहते हैं क्योंकि एमसीडी के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

 

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