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एमसीडी चुनाव: अपनों के वायरस से खतरे में कांग्रेस!

निगम चुनाव की दहलीज पर खड़ी दिल्ली में चुनावी मौसम रंगारंग बना हुआ है. नगर निगम सिविक सेंटर में परचम लहराने के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी ने जोर शोर से तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से पेन ड्राइव में आवेदन मांगे हैं.

कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से पेन ड्राइव में आवेदन मांगे हैं. कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से पेन ड्राइव में आवेदन मांगे हैं.
मणिदीप शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 5:51 AM IST

निगम चुनाव की दहलीज पर खड़ी दिल्ली में चुनावी मौसम रंगारंग बना हुआ है. नगर निगम सिविक सेंटर में परचम लहराने के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी ने जोर शोर से तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से पेन ड्राइव में आवेदन मांगे हैं. मगर बीजेपी और AAP से भी ज्यादा कांग्रेस को खतरा है, तो अपने ही आवेदकों से. 12 हजार से ज्यादा आए आवेदनों में से 90 फीसदी आवेदन ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.

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दरअसल एमसीडी चुनाव के लिए पहली दफे किसी भी पार्टी ने इस तरीके से आवेदन मांगने का काम शुरू किया. कांग्रेस पार्टी के पास पूरे दिल्ली शहर से तकरीबन 12,000 से ज्यादा आवेदन आए भी. मगर पेन ड्राइव में आए इन आवेदनों में से 90 फीसदी के लगभग में वायरस है.

टिकट के लिए अप्लाई कर रहे कई नेताओं ने सड़क किनारे की दुकानों से पेन ड्राइव खरीदी और अपनी जानकारी भरकर जमा करा दी. इसके चलते लगभग 90 फीसदी आवेदनों में वायरस आ गया. अब कांग्रेस सोशल मीडिया के कार्यकर्ता पहले इन पेन ड्राइव को वायरस फ्री कर रहे हैं.

दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन भी इस तसदीक करते हुए कहते कि ज्यादातर आवेदकों ने सड़क से पेन ड्राइव खरीदी और इसके चलते वायरस आ गया, मगर पेन ड्राइव के वायरस से भी ज्यादा खतरनाक दिल्ली की सत्ता में मौजूद वायरस है.

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अब दिक्कत का बीज पहली बार की गई कांग्रेस की नायाब पहल में छुपा हुआ है. कांग्रेस पार्टी ने पहली बार कागज बचाने के लिए अपने प्रत्याशियों से पेन ड्राइव में आवेदन मांगे. कई के लिए इस तरह आवेदन देने का यह मौका था. तकनीक से ताउम्र दूरी रही थी, मगर टिकट भी चाहिए था ऐसे में कुछ प्रत्याशी पेन ड्राइव में आवेदन लेकर आए भी और वायरस के चलते भागम भाग में दोबारा नई पेन ड्राइव लेकर आए.

जाहिर है तकनीक का जमाना है और चैलेंज भी तकनीक की तरह नए हैं. कांग्रेसी सियासत को अब विपक्षी पार्टी की बजाय पहले अपनों से ही फैले वायरस से निपटना है. हालांकि पार्टी इन चुनौतियों से निपटने के लिए सोशल सेना के कैडरों के भरोसे है और दिल्ली में AAP की सत्ता को वायरस मानकर मिटाने के लिए तैयार है. मगर बदलते भारत को समझने के लिए सियासत को भी खुद को बदलना होगा.

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