Advertisement

साहित्य आजतक: मिलें 'हिन्दी के हस्ताक्षर' केदारनाथ सिंह से...

साहित्य आज तक  में मिलें हिन्दी कवित्त के हस्ताक्षर केदारनाथ सिंह से. साथ में मौजूद होंगे उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और मृदुला गर्ग. मौका चूक न जाएं. 12 नवंबर को दोपहर 12:30 बजे पहुंचें इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स में...

Kedar Nath Singh Kedar Nath Singh
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST

केदारनाथ सिंह. संक्षेप और सरल भाषा में उनका परिचय कराया जाए तो उन्हें समकालीन परिस्थितयों में हिन्दी का हस्ताक्षर कहा जा सकता है.

वे खांटी भोजपुरी बेल्ट (बलिया) में पैदा हुए और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पढ़ने के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाने का काम किया. उनकी लिखी गई कविताएं माटी की खास महक के लिए जानी जाती हैं. वे लोक में प्रचलित स्मृतियां, लोक कथाएं और लोक गीतों पर खासी पकड़ रखते हैं. उनके द्वारा लिखी गई कविताएं जैसे- पानी में घिरे हुए लोग, टमाटर बेचती बुढ़िया या माझी का पुल उसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं.

Advertisement

उनकी कृतियों पर कुमार कृष्ण प्रतिक्रिया में लिखते हैं कि केदारनाथ सिंह की कविता में कहीं भुनते हुए आलू की खुशबू है तो कहीं एक अद्भुद ताप और गरिमा के साथ चूल्हे पर पकने वाली दुनिया की सबसे आश्चर्यजनक चीज रोटी की गंध है. नमक और पानी है. भूखा आदमी है. घने कोहरे में पिता की चाय के लिए नुक्कड़ की दुकान तक दूध खरीदने के लिए  जाने वाला बच्चा है. तम्बाकू के खेत हैं. टमाटर बेचनेवाली बुढ़िया है. बैल हैं. घास के गट्ठर हैं. भूसे की खुशबू है. लकड़हारे की कुल्हाड़ी का स्वर है और पत्थरों की रगड़ और आटे की गंध से धीरे-धीरे छनकर आने वाली मां की आवाज है.

12-13 को दिल्ली में लगेगा साहित्य के सि‍तारों का महाकुंभ, देखें पूरा शेड्यूल

उनकी कविताओं में पात्र तो जैसे स्वत: आते हैं. वे बड़ी बात कहने के लिए लोकविश्वास और संस्कृति का सहारा लेते हैं. कई बार तो यह लोकविश्वास इस कदर जीवंत हो उठते हैं कि उनके बगैर केदार के कविताओं की कल्पना बेमानी सी लगती है. उनकी कविताएं बतकही की कविताएं हैं. जैसे ठंड के दौरान गांव में बोरसी के इर्द-गिर्द बैठने वाले गंवई लोग हो.

Advertisement

अपने दुख-सुख साझा करते हुए. वे गंभीर से गंभीर बातों को भी बोझिल नहीं होने देते. जैसे कोई लोक कलाकार लय में गाते-गाते लोक की पीड़ा को अभिव्यक्त करता है. उनके द्वारा प्रस्तुत बिंब में ठेठपन साफ-साफ महसूस किया जा सकता है. वे हमेशा से ही इस देश के लोगों की ओर से बोलते-लिखते रहे हैं.

साहित्य आज तक: दिल्ली में 12-13 नवंबर को जुटेंगे कलम के दिग्गज, जानें कैसे करें रजिस्ट्रेशन

यदि आप भी इस साहित्यकार से रू-ब-रू होना चाहते हैं तो देश का नंबर 1 खबरिया चैनल आज तक साहित्यिक महाकुंभ का आयोजन कर रहे है. यहां एंट्री बिल्कुल मुफ्त है. आप यहां पहुंचकर केदारनाथ सिंह, उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और मृदुला गर्ग से एक ही समय पर मिल सकते हैं. उनकी बात सुनकर ऊर्जा हासिल कर सकते हैं.

साहित्य आज तक को लेकर ये बोले डायरेक्टर अनुराग कश्यप...

कार्यक्रम का नाम है- हिन्दी हैं हम - 21वीं सदी में क्या हिन्दी पिछड़ रही है? (मेन लॉन- स्टेज 1) तारीख 12 नवंबर, शनिवार. दोपहर 12:30 से 13:15. मौका न चूकें.

मुफ्त रजिस्ट्रेशन के लिए क्लिक करें-

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement