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मिलिए असल जिंदगी की 'की' ग्रेस एलिजाबेथ से

अगर घर पति संभाल लें तो पत्नी को अपना करियर बनाने में बहुत मदद मिल जाती है लेकिन क्या असल जिंदगी में ऐसा होता है...

ग्रेस एलिजाबेथ ग्रेस एलिजाबेथ
वन्‍दना यादव
  • नई दिल्ली,
  • 04 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

हाल में आई आर. बालकी फिल्म की एंड का को दर्शकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है लेकिन क्या सच में ऐसा हो सकता है कि पति घर संभाले और पत्नी ऑफिस जाए!

हो सकता है कि आपको अजीब लगे लेकिन इस फिल्मी कहानी को असल जिंदगी में उतारा है तमिलनाडु की ग्रेस एलिजाबेथ ने. वह अपने सपनों की उड़ान लिए आगे बढ़ रही हैं और इसे पूरा करने के लिए उनके हसबैंड ने घर की कमान अपने हाथों में ले ली है.

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मेडिकल में बनाना था करियर
ग्रेस हमेशा से मेडिकल फील्ड में अपना करियर बनाना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने 2002 में कई परीक्षाएं और इंटरव्यू दिए. उनके सपनों के कॉलेज क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में उनको दाखिला मिल ही गया. ग्रेस का कहना है कि नर्सिंग छात्र की लाइफ बहुत कठिन होती है क्योंकि आपको इंसान के शरीर के साथ ही उसके मन को भी समझना पड़ता है. चार साल की कड़ी मेहनत के बाद ग्रेस रजिस्टर्ड नर्स बन गईं और उन्हें कोल्हापुर के छोटे से अस्पताल में भेजा गया.

सपने पूरा करने में मिला पति का साथ
2006 में ग्रेस की शादी हुई और उन्हें पति के रूप में एक दोस्त मिल गया. ग्रेस अपनी सफलता का श्रेय अपने पति को देती हैं और उन्हें अपने जीवन का आधार मानती हैं. ग्रेस दो बच्चों की मां हैं जिनकी परवरिश का सारा जिम्मा उनके पति ने उठा लिया है. 2014 में ग्रेस के पति और उनके सास-ससुर ने उन्हें और आगे पढ़ने के लिए कहा और इसके बाद शुरू हुआ उनका एक नया सफर. ग्रेस ने मास्टर्स की पढ़ाई के लिए यूस के एक कॉलेज में एप्लाई किया जहां पर कुछ दिनों बाद उन्हें एडमिशन मिल गया.

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जब बच्चों को अकेले छोड़कर जाने से डर लगता था
ग्रेस के सपनों को उनके पति और सास-ससुर ने अपना बना लिया और उन्हें हर तरह से सपोर्ट करने का फैसला किया. ग्रेस कहती हैं कि मेरे सास-ससुर मुझे फाइनेंशियली सपोर्ट कर रहे थे लेकिन अपने पति‍ और बच्चों को यहां छोड़कर जाने के ख्याल से भी मैं डर जाती थी. मुझे लगता था कि मेरी डेढ़ साल की बेटी और पांच साल के बेटे को मेरे हसबैंड कैसे संभालेंगे. लेकिन मेरे पति ने सारी जिम्मेदारियों को इतनी अच्छी तरह संभाल लिया जितना शायद मैं भी नहीं कर पाती.

पूरी हुई तपस्या
2015 में ग्रेस नर्सिंग में ग्रेजुएट हो गई और अब वह अपने वर्क परमिट का इंतजार कर रही हैं ताकि वह अपने बच्चों और पति को यूस बुला सकें. ग्रेस खुश हैं क्योंकि वह जल्द ही अपने पति‍ और बच्चों से मिलने वाली हैं. ग्रेस की कहानी यह बताती है कि हाइयर स्टडीज कभी पूरी की जा सकती हैं. बस जरूर है परिवार के सपोर्ट और पति के विश्वास की.

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