
तमिलनाडु में सियासी उठापटक के बीच मंगलवार को सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर थी. आय से अधिक संपत्ति के हाईप्रोफाइल मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला आता है, इस पर AIADMK महासचिव शशिकला नटराजन के राजनीतिक भविष्य का दारोमदार टिका था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद शशिकला का जेल जाना तय हो गया. उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना फिलहाल दूर की कौड़ी है.
जयललिता की विरासत का खुद को दावेदार बताने वालीं शशिकला के लिए आगे की राजनीतिक लड़ाई मुश्किल हो गई है. जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस अमिताव रॉय की खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए शशिकला तथा तीन अन्य लोगों के खिलाफ निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा.
64 वर्षीय जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष कानूनविदों के प्रतिष्ठित परिवार से नाता रखते हैं. उनके पिता दिवंगत शंभू चंद्र घोष कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस थे. कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से ग्रेजुएट जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की. कलकत्ता हाईकोर्ट से वे अटॉर्नी-एट-लॉ बने.
जस्टिस घोष ने 1976 में पश्चिम बंगाल की बार काउंसिल से वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. 1997 में वे हाईकोर्ट में स्थायी जज के तौर पर प्रोन्नत हुए. उन्होंने अंडमान और निकोबार स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी और वेस्ट बंगाल स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं. जस्टिस घोष नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सदस्य भी रहे. दिसंबर 2012 में जस्टिस घोष को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया. अगले साल ही जस्टिस घोष को सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर प्रोन्नति मिली, जस्टिस घोष 27 मई 2017 को रिटायर होंगे.
कोलकाता में जन्मे 63 वर्षीय जस्टिस अमिताव रॉय का ताल्लुक भी वकीलों के परिवार से हैं. उनके पिता दिवंगत अनादी भूषण रॉय असम के जाने-माने वकील थे. फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट जस्टिस रॉय ने 1976 में डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की. उन्होंने अपना विधिक करियर 1976 में ही असम, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश की बार काउंसिल में एनरोलमेंट से शुरू किया. 1981 में उन्होंने गौहाटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की.
जस्टिस रॉय ने गौहाटी हाईकोर्ट में 1991 से 1996 के बीच अरुणाचल प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर अपनी सेवाएं दीं. वे असम लॉ कमीशन के सदस्य भी रहे. 2002 में जस्टिस रॉय गौहाटी हाईकोर्ट के जज नियुक्त किए गए. 2013 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर प्रोन्नति मिली. जस्टिस रॉय ने उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं. 2015 में जस्टिस रॉय को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर प्रोन्नति मिली.