
महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच तकरार थमने का नाम नहीं ले रहा है. महानदी विवाद निपटारे के लिए छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्यमंत्री की 17 सितंबर को बैठक करने जा रहे हैं. जिसमें ओडिशा सरकार की तरफ से उठाए गए सवालों का हल निकाला जाएगा. यह बैठक इस लिहाज से भी अहम है कि जिस तरह के हालात पानी को लेकर दोनों राज्यों के बीच उत्पन हो रहे हैं, उससे दोनों राज्यों के बीच भविष्य में पानी को लेकर विवाद और गहरा सकता है.
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लोगों की जीवनदायिनी महानदी के जल बंटवारे को लेकर इन दिनों जंग छिड़ी हुई है. लिहाजा पानी के झगड़े को खत्म करने के लिए सयुक्त नियंत्रण बोर्ड का गठन किया जाना है. सूत्रों के अनुसार ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की तरफ से 17 सितंबर की तारीख तय कर केंद्रीय जलसंसाधन मंत्रालय को भेज दिया गया है. इसी आधार पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिह, कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, मुख्य सचिव विवेक ढांढ और कृषि सचिव गणेश शंकर मिश्रा 17 सितंबर को दिल्ली पहुचेंगे. महानदी को लेकर उभरे विवाद को खत्म करने के लिए बुलाई गई इस बैठक में दोनों राज्य अपना पूरा होमवर्क करके आएगी.
पानी को लेकर ओडिशा सरकार की तरफ से जो आरोप लगाए गए हैं उसके जवाब में छत्तीसगढ़ सरकार उन तथ्यों को सामने लाने की तैयारी कर रही है, जिसमें ओडिशा सरकार के दावे को खारिज किया जा सके, इसमें सबसे अहम बिंदु पानी के खर्च का है. छत्तीसगढ़ सरकार की दलील है कि ओडिशा बेवजह बांध के निर्माण पर रोड़ा अटका रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2008 में केंद्रीय जल आयोग की अनुमति और सूचना के बाद बांध के निर्माण का प्रस्ताव लाया था. अरपा भैंसाधार परियोजना पर राज्य सरकार लगभग 2 हजार करोड़ की लगत से बांध बनाने जा रही है. केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा पुनुरुद्धार मंत्रालय इस योजना को हरी झंडी दे चुका है.
छत्तीसगढ़ सरकार की यह भी दलील है कि 23 अप्रैल 2015 को ही ओडिशा को बांध के निर्माण संबंधी तमाम जानकारी दे दी गई, यह जानकारी ओडिशा के मुख्य सचिव आदित्य प्रसाद पाधी को सौंपी गई थी. उधर ओडिशा सरकार बोर्ड गठन के मामले में लगातार बचने का प्रयास कर रही है. बोर्ड बन जाने से पानी का पूरा हिसाब-किताब सब के सामने आ जाएगा.