
पिछले 15 दिनों से मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के कोयला खदान में फंसे हुए 15 मजदूरों को निकाल पाने की कोशिशें अब तक नाकाम रही हैं. मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने इसके लिए गहरी सुरंगों के लोकेशन को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार 2014 से प्रतिबंधित इन कोयला खदानों को कानूनी वैधता और नियमित किए जाने के समर्थन में है.
इंडिया टुडे से बातचीत में मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा कि पूरी नदी ही 200-300 फीट नीचे खदान में समा गई. इस खदान की स्थिति मुख्य सड़क से 40-50 किलोमीटर दूर है. हमें 30 हाई पावर पम्प की आवश्यकता है. यही सबसे बड़ी लजिस्टिकल चुनौती. उन्होंने कहा कि गोताखोरों ने सुरंग तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन स्थिति बेहद मुश्किल है. हम उन संगठनों के संपर्क में हैं जो मदद करने का प्रयास कर रहे हैं. बचाव कार्य अभी भी जारी है, हम उम्मीद नहीं खो रहे. हर जान की कीमत है लेकिन यहां की स्थिति को तो देखिए.'
वहीं जिम्मदेरी से भागने, दोषारोपण करने और बेबसी जाहिर करने के आरोप में राज्य सरकार को आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है. कोनराड संगमा ने कहा, 'पहले दिन से ही हम गृह मंत्रालय और राज्य मंत्री किरन रिजीजू के संपर्क में हैं. इसी वजह से एनडीआरएफ मौके पर पहुंच पाई. यह एक वृहद ऑपरेशन था और इसके लिए कई संगठनों के साथ समन्वय की आवशय्कता थी. बचाव कार्य में तेजी से आगे बढ़ना आसान काम नहीं थी.'
गौरतलब है कि साल 2012 और 2013 में भी ऐसे ही खदानों में पानी भर जाने से 15 खनिकों की मौत हो गई थी. इस तरह की खदानों को अवैज्ञानिक और असुरक्षित मानते हुए एनजीटी ने साल 2014 में मेघालय में कोयला खनन पर पाबंदी लगा दी थी. हालांकि अवैध खनन अभी भी जारी है. राज्य सरकार का कहना है कि यदि अवैध खनन की खबर आती है तो कार्रवाई होती है.
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा कोयला खनन को कानूनी वैधता और नियमित किए जाने के पक्ष में हैं ताकि उचित नियम और कानून बनाकर इस तरह की दुर्घटना को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि खनन पर पूर्णतया पाबंदी सही विकल्प नहीं है. राज्य सरकार और भारत सरकार द्वारा अधिकृत खनन के एक व्यवस्थित तरीके जरूरत है. पूरी तरह से पाबंदी लगाने की वजह से लोग ऐसी गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं जिसकी अनुमति नहीं है. पूरे राज्य में इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखना मुश्किल है. इसलिए खनिकों की सुरक्षा और पर्यावरण का ध्यान रखने के लिए कोयला खनन को नियमित किए जाने की आवश्यकता है.
गौरतलब है कि 13 दिसंबर की सुबह पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के अवैध कोयला खदान में अचानक पानी भर जाने से 15 मजदूर अंदर फंस गए थे. जल भराव के कारण संकरी सुरंगों के जरिए खदान के अंदर घुसे मजदूरों तक बचाव दल पहुंच नहीं पा रहा. वहीं पानी निकालने का प्रयास लगातार जारी है. लेकिन हाई पावर पम्प के उप्लब्ध न हो पाने से रेस्क्यू करने में मुश्किल आ रही है.