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Birthday Special: टीम इंडिया के कैप्टन कूल धोनी की यादगार फिनिशिंग इनिंग्स

7 जुलाई को धोनी अपना 35वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस खास मौके पर यहां बात धोनी की उन पारियों की जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा. ज्यादातर मौके पर ये पारियां तब खेली गईं, जब टीम के बाकी दिग्गज रनों का पीछा करते जल्दी अपना विकेट गंवा बैठे थे.

2011 के वर्ल्ड कप में धोनी ने फाइनल में छक्का लगाकर भारत को विश्व विजेता बनाया 2011 के वर्ल्ड कप में धोनी ने फाइनल में छक्का लगाकर भारत को विश्व विजेता बनाया
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 7:10 AM IST

कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया के अब तक के सबसे दमदार वनडे फिनिशर रहे हैं. वनडे हो या टी20, उन्होंने कई ऐसी बेमिसाल पारियां खेली हैं जब टीम हार के मुहाने पर खड़ी थी लेकिन धोनी अपनी दमदार पारी की वजह से विपक्षी टीम के मुंह से जीत चुरा ले गए.

7 जुलाई को धोनी अपना 35वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस खास मौके पर यहां बात धोनी की उन पारियों की जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा. ज्यादातर मौके पर ये पारियां तब खेली गईं, जब टीम के बाकी दिग्गज रनों का पीछा करते जल्दी अपना विकेट गंवा बैठे थे. और टीम पर हार का संकट मंडरा रहा था.

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183 नॉट आउट (श्रीलंका के खिलाफ, जयपुर, 2005)
जयपुर में श्रीलंका के खिलाफ खेली गई 183 रनों की पारी से धोनी ने फिनिशर बनने की ओर बड़ा कदम बढ़ाया. इस पारी से उन्होंने विरोधियों के कान खड़े कर दिए. लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया को जिताने का धोनी का यहां से शुरू हुआ कारवां आज भी जारी है. इस मैच में श्रीलंका ने भारत को 299 रनों का टारगेट दिया. नंबर 3 पर आए धोनी ने 15 चौकों और 10 छक्कों की मदद से 183 रन बनाकर भारत को बड़ी जीत दिलाई. भारत ने 23 गेंद रहते 6 विकेट से ये मैच जीता.

91 नॉट आउट (श्रीलंका के खिलाफ, मुंबई, 2011)
वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में लक्ष्य का पीछा करते हुए धोनी ने एक बार फिर ऐतिहासिक पारी खेलते हुए भारत को 28 साल बाद विश्व विजेता बनाया. 275 रनों का पीछा करते हुए एक समय भारत 114 रनों पर 3 विकेट खोकर दवाब में था. ऐसे में सबको चौंकाते हुए धोनी युवराज सिंह से पहले खेलने आए और 79 गेंदों में 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 91 रन बनाकर नाबाद लौटे. धोनी ने छक्का लगाकार टीम इंडिया को ये मैच जिताया.

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45 नॉट आउट (श्रीलंका के खिलाफ, 2013)
वेस्ट इंडीज के पोर्ट ऑफ स्पेन में ट्राई सीरीज के फाइनल में श्रीलंका लगभग जीत दर्ज कर चुका था. भारत को आखिरी ओवर में 15 रनों की जरूरत थी, और हाथ में सिर्फ 1 विकेट था. श्रीलंका जीत के लिए आश्वस्त था, लेकिन धोनी ने पहली चार गेंदों में 0,6,4,6 रन बनाकर श्रीलंकाई शेरों के जबड़े से जीत छीन ली. धोनी 45 रन बनाकर नाबाद लौटे. इस लो स्कोरिंग मैच में रोमांचकता की हर हद पार हुई.

91 नॉट आउट (बांग्लादेश के खिलाफ, 2007)
251 रनों का पीछा करते हुए भारत की आधी टीम 144 रनों पर पवेलियन में बैठ चुकी थी. जीत मुश्किल थी, लेकिन दिनेश कार्तिक के साथ धोनी ने संघर्ष नहीं छोड़ा और टीम को 5 विकेट से जीत दिलाई. धोनी 91 रन बनाकर नाबाद लौटे, जबकि कार्तिक 58 रन बनाकर नाबाद लौटे. यहां धोनी ने साबित किया कि मुश्किल हालातों में उनकी बल्लेबाजी स्तर अलग स्तर पर चली जाती है.

46 नॉट आउट (वेस्ट इंडीज के खिलाफ, 2009)
बारिश से प्रभावित इस मैच में भारत को 22 ओवरों में 159 रनों का लक्ष्य मिला. आखिरी ओवर में भारत को 11 रन चाहिए थे. धोनी और पठान क्रीज पर थे. पहली गेंद पर पठान ने एक रन लेकर धोनी को स्ट्राइक दी. धोनी ने अगली गेंद पर 6 और उसके अगली गेंद पर 2 रन लेकर भारत की जीत सुनिश्चित कर दी. टीम इंडिया ने 1 गेंद शेष रहते ये मैच जीता.

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50 नॉट आउट (श्रीलंका के खिलाफ, 2008)
ऑस्ट्रेलिया के ऐडिलेड में 239 रनों का पीछा कर भारतीय टीम लगातार दवाब में थी. भारत के विकेट लगातार गिर रहे थे, लेकिन धोनी एक छोर को पकड़े हुए थे और धीरे-धीरे लक्ष्य के करीब पहुंच रहे थे. पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ मिलकर धोनी ने 68 गेंदों में 50 रनों की स्लो इंनिंग खेलकर आखिरी ओवर में भारत को 2 विकेट से जीत दिलाई. धोनी ने इस पारी में एक भी चौका या छ्क्का नहीं लगाया.

44 नॉट आउट (ऑस्टेलिया के खिलाफ, 2012)
270 रनों का पीछा करते हुए गंभीर के 92 रनों की बदौलत भारत अच्छी स्थिति में था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया बीच-बीच में विकेट लेकर मैच में बना हुआ था. आखिरी ओवर में भारत को 13 रनों की जरूरत थी, और क्रीज पर धोनी के साथ अश्विन थे. अश्विन पहली 2 गेदों पर 1 ही रन बना सके. बाद में तीसरी गेंद पर 6 और अगली दो गेंदों पर 2 और 3 रन लेकर धोनी ने मैच खत्म किया.

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