Advertisement

मनरेगा बनी बेरोजगार गारंटी योजना, कुल 13 फीसदी लोगों को मिला 100 दिन का काम

मनरेगा के तहत राज्य में महज 13 हजार लोगों को 100 दिन का रोजगार मिला है. जबकि जब से ये योजना लागू हुई है तब से कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि ढाई लाख से कम लोगों को 100 दिन का रोजगार मिले.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 07 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:14 AM IST

गांव में लोगों को काम देने के लिए सरकार की तरफ से महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा योजना शुरू की थी. लेकिन राजस्थान के आंकड़ों को देखें तो ये महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण बेरोजगारी गारंटी योजना नजर आएगी.  

यकीन करना मुश्किल है कि मनरेगा के तहत राज्य में महज 13 हजार लोगों को 100 दिन का रोजगार मिला है. जबकि जब से ये योजना लागू हुई है तब से कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि ढाई लाख से कम लोगों को 100 दिन का रोजगार मिले. आज तक संवाददाता ने गांवों में जाकर हालात का जायजा लिया तो समस्या आंकड़ों में कहीं ज्यादा दिखाई दी.

Advertisement

जयपुर जिले के निमेड़ा गांव में 6 महीने बाद मनरेगा के तहत 12 लाख का काम मांगा था. लेकिन सिर्फ सात लाख रुपये का काम आया है. गांव में मनरेगा के तहत 400 बेरोजगार लोगों का जॉब कार्ड बना हुआ है. 200 रुपये की मजदूर के हिसाब से 50 मजदूरों को एक दिन काम पर रखने के हिसाब से दो महीने का काम है और फिर बेरोजगार.

ज्यादातर महिलाएं ही करती हैं काम

ये सिर्फ इसी पंचायत की हालत नहीं है बल्कि आस-पास के बेगस और फागी जैसी पंचायतों में या तो काम नहीं है या फिर ना के बराबर है. इसकी वजह से मनरेगा में पुरुषों ने काम पर आना ही बंद कर दिया है. क्योंकि मनरेगा पर निर्भर रहने पर साल भर में 10 से 15 हजार रुपये कमा पाते हैं. जिससे घर नहीं चल सकता. लिहाजा महिलाएं ही आती हैं. काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि हर 15 दिन बाद घर बैठना पड़ता है, ऐसे में घर कैसे चले?

Advertisement

ये हैं मनरेगा के तरह रोजगार के आंकड़े

-वर्ष 2015-16 में 4.69 लोगों को 100 दिन का रोजगार मिला.

-वर्ष 2016-17 में 4.27 लाख लोगों को 100 दिन का रोजगार मिला.

-जबकि 31 अक्टूबर 2017 तक महज 13302 लोगों को ही 100 दिन का रोजगार मिला.

-दूसरी तरफ सरकार ने मनरेगाा का 97 फीसदी बजट खर्च कर दिया. ऐसे में अब काम कैसे देंगे.

ये हैं मनरेगा योजना के आंकडे

-मनरेगा के तहत नए जॉब कार्ड बन ही नहीं रहे बल्कि घट रहे हैं.

-2015-16 में राजस्थान में 99.36 लाख मनरेगा के जॉब कार्डधारी थे.

-2016-17 में 4.12 लाख की कमी के साथ 95.24 जॉब कार्डधारी रह गए.

-इस साल 65000 घटकर इनकी संख्या 94.59 रह गई है.

घटता जा रहा है लेबर बजट

-2015-16 में लेबर बजट 2016.9 लाख  था. -2016-17 में ये 2300 लाख हो गया.

-जबकि 2017-18 में ये घटाकर 2000 लाख कर दिया गया है.

इस साल एक लाख 83 हजार 836 काम शुरू हुए. जिसमें से महज 635(0.36) ही पूरे हुए हैं. यानी 99 फीसदी अधूरे हैं. पिछले वर्षों के मुकाबले 100 दिन का काम महज 13 फीसदी लोगों को मिला है. जबकि 97 फीसदी बजट खत्म हो गया है. जनता रोजगार मांग रही है और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री जी कह रहे हैं कि रोजगार मांगने वाले नहीं आ रहे हैं.

Advertisement

अधिकारी नहीं बना रहे हैं जॉब कार्ड

अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर मनरेगा से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि रोजगार मांगने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन हम जॉब कार्ड नहीं बना रहे हैं. इसकी वजह है कि काम ही नहीं है.

इस तरह बंद हो सकती है योजना

मनरेगा के तहत सरकारी जमीनों पर कच्चा काम होता है और ये पिछले 10-15 सालों में पूरे हो गए हैं. गांवों में ज्यादा सरकारी जमीनें कच्चे काम के लिए नहीं हैं. अब तो मनरेगा के नियम बदलें तभी कुछ हो सकता है वर्ना ये योजना इस रूप में बंद हो जाएगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement