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दुनियाभर में 6.2 करोड़ लड़कियों के स्कूल से बाहर रहने के मद्देनजर अमेरिकी प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने बालिका शिक्षा में व्याप्त वैश्विक संकट को केवल निवेश ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक मान्यताओं और तरीकों से हल करने का आह्वान किया है.
अटलांटिक काउंसिल में एक संपादकीय में मिशेल ने कल लिखा कि उन्होंने नयी पहल लेट गर्ल लर्न की शुरुआत की है.
इसके जरिए बालिका नेतृत्व शिविरों और स्कूल में शौचालय जैसी बालिका शिक्षा परियोजनाओं के लिए फंड मिलेगा जिससे संघर्ष क्षेत्र में लड़कियां शिक्षित होंगी और गरीबी, एचआईवी तथा ऐसे मुद्दों का समाधान होगा जिससे लड़कियां स्कूल से बाहर रह जाती हैं.
मिशेल ने लिखा है, हम बालिका शिक्षा के संकट का तब तक निदान नहीं कर सकते जब तक कि हम गहरी सांस्कृतिक मान्यताओं और तौर तरीकों का समाधान ना करें जिससे कि संकट के समाधान में मदद मिले. वह जार्डन सहित पश्चिम एशिया के अपने दौरे के तहत कतर गयीं जहां वह बालिका शिक्षा को बढ़ावा देंगी. ऐसे संपादकीय में भारत का जिक्र तो नहीं किया गया है लेकिन इसमें दो लड़कियां केरल में स्कूल जाती दिख रही हैं.
उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि कानूनी और सांस्कृतिक बदलाव संभव है क्योंकि हमने अपने देश सहित दुनिया भर के देशों में यह देखा है. उन्होंने कहा, एक सदी पहले, अमेरिका में महिलाएं वोट नहीं देती थीं.
दशकों पहले नियोक्ताओं को महिलाओं को भर्ती किये जाने से इनकार करने का अधिकार था और घरेलू हिंसा को अपराध के तौर पर नहीं बल्कि निजी पारिवारिक मामलों के तौर पर देखा जाता था. लेकिन इन तौर तरीकों को बदलने के लिए हर पीढ़ी में साहसी लोग हुए हैं- पुरूष और महिलाएं दोनों.
इनपुट: भाषा