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पहली बार फ्लाइट से मजदूरों की वापसी, 177 प्रवासियों को लाई झारखंड सरकार

पहली बार मजदूरों की घर वापसी फ्लाइट से हो रही है. मुंबई से मजदूरों को लेकर एक फ्लाइट रांची पहुंची है. एनजीओ की मदद से मुंबई में 177 मजदूरों को एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया था.

प्रवासी मजदूर का परिवार (फोटो-PTI) प्रवासी मजदूर का परिवार (फोटो-PTI)
पंकज उपाध्याय
  • मुंबई/रांची,
  • 28 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST

  • एनजीओ की मदद से मुंबई से लाए गए मजदूर
  • CM सोरेन बोले- अंडमान से भी आएगी दो फ्लाइट

आपने मजदूरों को पैदल, ट्रक से लटकते हुए या फिर बस-ट्रेन से घर जाते हुए देखा होगा, लेकिन पहली बार मजदूरों की घर वापसी फ्लाइट से हुई. मुंबई से मजदूरों को लेकर एक फ्लाइट रांची पहुंची. एनजीओ की मदद से मुंबई में 177 मजदूरों को एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया था. मजदूरों ने 6 बजे उड़ान भरी थी.

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मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुबह 2 बजे ही 177 प्रवासी मजदूरों की लाइन लग गई. यह मजदूर सुबह 6 बजे एयर एशिया की फ्लाइट में उड़ान भरने पहुंचे. बैंगलोर लॉ स्कूल एलुमनाई एसोसिएशन की प्रियंका रमन सुनिश्चित कर रही थीं कि हर कोई हवाई अड्डे तक पहुंच गया या नहीं.

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इस लॉ स्कूल के पूर्व छात्रों के संघ ने कुछ एनजीओ के साथ मिलकर न केवल मुंबई के विभिन्न हिस्सों से प्रवासियों को इकट्ठा किया बल्कि उनके हवाई टिकट की भी व्यवस्था की. प्रियंका रमन का कहना है कि हम जानते थे कि रांची के कई प्रवासी हैं, जो वापस जाना चाहते थे, इसलिए हमने कोशिश की और वापस भेजने का फैसला किया.

प्रियंका कहती हैं कि हमने ऐसे प्रदेश के मजदूरों को वापस भेजने का फैसला किया था, जहां परिवहन संपर्क खराब हो. अंत में हमने फैसला किया कि हम झारखंड के लोगों को वापस भेजेंगे. इसके लिए एलुमनाई के पूर्व छात्रों ने फंडिंग का आयोजन किया, जिसमें सभी प्रवासियों के लिए टिकट, हवाई अड्डा शुल्क और परिवहन शुल्क शामिल थे.

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बड़ी संख्या में मजदूर आज हवाई जहाज से झारखंड लौट रहे हैं. इन मजदूरों की खुशी साफ दिखाई दे रही है. घर जा रहीं मंजू देवी का कहना है कि हम इसलिए वापस जा रहे हैं, क्योंकि यहां फिर से काम शुरू होने की कोई गारंटी नहीं है. हम अब वापस नहीं लौटेंगे. हमने पिछले दो महीनों से यहां बहुत सारी समस्याओं का सामना किया.

मंजू का पति विरार में एक ड्राइवर था. पिछले दो महीनों से उन कठिनाइयों को याद करते हुए मंजू कहती हैं कि बहुत कम खाना था और छोटे बच्चों के साथ इसका प्रबंधन करना मुश्किल था. वह कहती हैं कि झारखंड में घर चलाना मुश्किल होगा, लेकिन कम से कम वे घर पर ही होंगे.

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प्रवासियों को घर भेजने की मुहिम का हिस्सा प्रिया शर्मा का कहना है कि हम जानते हैं कि रांची के लिए कई ट्रेनें नहीं थीं, इसलिए हम मुंबई और पुणे में फंसे प्रवासियों की तलाश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि फ्लाइट के लिए प्रवासियों को राजी करना आसान नहीं था, क्योंकि हाल के दिनों में कई लोगों को कंफ्यूज किया गया था.

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एक्टिविस्ट और पूर्व छात्रों के समूह का कहना है कि अगर उन्हें अन्य राज्य सरकारों से समर्थन मिलता है तो वे राज्यों में अधिक प्रवासी श्रमिकों को भेजने के लिए तैयार होंगे.

वहीं, झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह खुशी की बात है कि प्लेन से झारखंड के मजदूर अपने राज्य लौट रहे है. अंडमान में फंसे लोगों को लाने के लिए दो और फ्लाइट जल्द ही रांची में लैंड करेगी. उनका कहना है कि फ्लाइट का किराया राज्य सरकार ही वहन कर रही है.

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