Advertisement

अल्पसंख्यक दर्जा: केंद्र के हलफनामे पर चार हफ्ते में SC को जवाब देगा AMU

सोमवार को जस्टिस जेएस खेहर की अदालत में यूनिवर्सिटी के वकील पीपी राव ने केंद्र के हलफनामे का जवाब देने के लिए कुछ समय की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.

अलीगढ़ मुस्लि‍म यूनिवर्सिटी अलीगढ़ मुस्लि‍म यूनिवर्सिटी
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 7:06 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को केंद्र के उस हलफनामे का जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है, जिसमें मोदी सरकार ने यूपीए सरकार की ओर से दाखि‍ल याचिका वापस लेने का निर्णय किया है. यूपीए सरकार ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं बताने वाले फैसले को चुनौती दी है.

सोमवार को जस्टिस जेएस खेहर की अदालत में यूनिवर्सिटी के वकील पीपी राव ने केंद्र के हलफनामे का जवाब देने के लिए कुछ समय की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'यूनिवर्सिटी काउंसिल सरकार के हफलनामे का जवाब देने के लिए समय चाहती है, लिहाजा उसे 4 हफ्ते का समय दिया जाता है.'

Advertisement

गौरतलब है कि इससे पहले बीते गुरुवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली पिछली सरकार की अपील को वापस लेगी. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'हमने (सरकार ने) एक हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा है कि हम अपील को वापस लेंगे.' उन्होंने कहा कि केंद्र ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी इस मुद्दे पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अलग याचिका दाखिल की थी.

'सरकार ने की थी स्थापना, मुस्लिमों ने नहीं'
रोहतगी ने गुरुवार को कोर्ट से कहा, 'एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है.' उन्होंने 1967 के शीर्ष अदालत के एक फैसले का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि यह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है क्योंकि सरकार ने इसकी स्थापना की थी, मुस्लिमों ने नहीं.

Advertisement

पहले भी शीर्ष विधि अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि एक केंद्रीय कानून के तहत अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी. साथ ही 1967 में अजीज बाशा मामले में पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने कहा था कि यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है.

एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं: राज्यपाल कल्याण सिंह
दूसरी ओर, राजस्थान के राज्यपाल और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भी कहा है कि अलीगढ़ मुस्लि‍म यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है. उन्होंने कहा, 'यह यूजीसी की फंडिंग से चलता है. इसे आप केंद्रीय विश्वविद्यालय तो कह सकते हैं, लेकिन अल्पसंख्यक संस्थान नहीं कह सकते.' उन्होंने इसके साथ ही केंद्र सरकार के ताजा हलफनामे को उचित बताया.

'साल 1981 में कानून में किया गया संशोधन'
बीते गुरुवार को सरकार का पक्ष रख रहे मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा था कि उक्त फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए केंद्रीय कानून में 1981 में एक संशोधन लाया गया ताकि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया जा सके, जिसे हाल ही हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है. रोहतगी ने अप्रैल में बेंच के समक्ष कहा था, 'आप अजीज बाशा फैसले की अवहेलना नहीं कर सकते. भारतीय संघ का रुख है कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देना अजीज बाशा फैसले के विपरीत होगा.' बेंच ने तब केंद्र को आवेदन दाखिल करने और उसके द्वारा दाखिल अपील को वापस लेने के लिए आठ सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement