
#MeToo कैंपेन दुनिया के कई देशों में छा जाने के बाद अब भारत में भी अपनी जड़ें मजबूत कर चुका है. अभियान के तहत कई महिला पत्रकारों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के बाद पूर्व पत्रकार एम.जे. अकबर ने विदेश राज्य मंत्री पद से बुधवार को इस्तीफा दे दिया.
अब आज से ये लड़ाई अदालत में लड़ी जा रही है, #MeToo के तहत अभी तक कई मामले सामने आए हैं. लेकिन ये पहला मामला है जिसकी सुनवाई कोर्ट में हो रही है. एमजे अकबर 31 अक्टूबर को पटियाला हाउस कोर्ट में अपना बयान रिकॉर्ड करेंगे.
सुनवाई के दौरान गीता लूथरा ने एमजे अकबर का पक्ष रखते हुए कहा कि प्रिया रमानी के ट्वीट और रिट्वीट से एमजे अकबर की प्रतिष्ठा को दाग लगा है. सोशल मीडिया पर ट्वीट आने के बाद उसे 1200 से अधिक रिट्वीट और लाइक मिले, जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
वकील ने कहा कि ये मामला 20-30 साल बाद सामने आया है, जिसके बाद अब कल उन्होंने इस्तीफा दिया. इनके आरोपों के कारण दुनियाभर के अखबारों में ये बात सामने आई. वकील की ओर से कहा गया कि रमानी के आर्टिकल में उनके मेल बॉस को आरोप लगाए गए हैं.
एमजे अकबर के वकील ने कोर्ट में कहा कि इसके कारण उनकी छवि पर दाग लगा है, वह राज्यसभा सांसद हैं, लंबे समय से पत्रकार रहे हैं और किताबे भी लिखी हैं. अब उनके ये ट्वीट सिर्फ उनके फॉलोवर्स तक नहीं बल्कि दुनियाभर में फैल गए हैं.
बता दें कि अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है. जिसपर आज दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हो रही है.
कोर्ट में एमजे अकबर की ओर से सीनियर वकील गीता लूथरा पक्ष रख रही हैं. पहले ये सुनवाई 16 तारीख को होनी थी, लेकिन कोर्ट ने इसे दो दिन के लिए टाल दिया था. स्पेशल जज समर विशाल इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं.
'Me Too' अभियान के सामने आने और कई महिला पत्रकारों द्वारा अकबर के खिलाफ आरोप लगाए जाने के 10 दिन बाद भारतीय राजनीति में यह पहला इस्तीफा है.
पहले किया था इस्तीफे से इनकार
दो दिन पहले त्यागपत्र की संभावना से इंकार करने वाले 67 वर्षीय अकबर ने बुधवार को इस्तीफे की घोषणा करते हुए संक्षिप्त बयान में कहा कि वह इस बात को उचित मानते हैं कि अपने विरुद्ध लगे आरोपों का कानूनी रूप से निजी क्षमता से सामना करेंगे, उन्होंने अपना इस्तीफा रविवार को विदेश दौरा पूरा करके आने के दो दिन बाद दिया है.
इस मामले पर चुप्पी साधे रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्ष लगातार हमलावर बना हुआ था. अकबर द्वारा मानहानि का मुकदमा दायर करने के बाद भी उनके ऊपर बढ़ते आरोपों के बीच उनका सरकार में बने रहना काफी मुश्किल प्रतीत हो रहा था.
अकबर ने उनके ऊपर सबसे पहले आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ सोमवार को मानहानि का मुकदमा किया. 67 वर्षीय अकबर वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे. उन्हें 2016 में सरकार में शामिल किया गया था.
खुश हुईं महिला पत्रकार
उधर अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों ने विदेश राज्य मंत्री पद से उनके इस्तीफे के बाद बुधवार को खुशी जाहिर की.
प्रिया रमानी ने भी जताई खुशी
अकबर के खिलाफ सबसे पहले आरोप लगाने वाली और मानहानि के मुकदमे का सामना कर रहीं पत्रकार प्रिया रमानी ने अकबर के इस्तीफे के बाद कहा, "उनके रुख की पुष्टि हुई." रमानी ने ट्वीट किया, "एक महिला के तौर पर, एम.जे. अकबर के इस्तीफे से हम सही साबित हुए हैं. मैं उस दिन की ओर देख रही हूं, जब मुझे अदालत से भी न्याय मिलेगा."
क्या था मामला?
दरअसल, विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर कई अखबारों के संपादक रहे हैं. उनके ऊपर अब तक कई महिला पत्रकारों ने #MeToo कैंपेन के तहत आरोप लगाए हैं. अकबर पर पहला आरोप प्रिया रमानी नाम की वरिष्ठ पत्रकार ने लगाया था जिसमें उन्होंने एक होटल के कमरे में इंटरव्यू के दौरान की अपनी कहानी बयां की थी.
रमानी के आरोपों के बाद अकबर के खिलाफ आरोपों की बाढ़ आ गई और एक के बाद एक कई अन्य महिला पत्रकारों ने उन पर संगीन आरोप लगाए. जिसकी वजह से सोशल मीडिया और विपक्ष की ओर से लगातार उनके इस्तीफे की मांग उठ रही थी.