
नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरने में जुटे हुए हैं. उत्तर भारत और पूर्वोत्तर के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा हुआ है. दक्षिण की पार्टियां नागरिकता संशोधन एक्ट में श्रीलंका से आए हुए तमिल शरणार्थियों को भी शामिल करने की मांग की है, इस बीच डीएमके नेता एमके स्टालिन ने श्रीलंका में राष्ट्रगान के मसले को केंद्र सरकार के सामने उठाया है.
डीएमके नेता एमके स्टालिन ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘श्रीलंका की सरकार के द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रगान को सिर्फ सिंहली भाषा में गाने का फैसला लिया गया है. इस तरह का फैसला श्रीलंका में तमिल लोगों को किनारे करने का काम करेगा. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर से इस मामले में दखल देने की अपील करता हूं.’
आपको बता दें कि आने वाली 4 फरवरी को श्रीलंका का 72वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. इस मौके पर कोलंबो के स्क्वायर पर बड़ा कार्यक्रम किया जाएगा, जिसमें सिंघला भाषा में राष्ट्रगान गाया जाएगा. ये आदेश पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मिनिस्ट्री की ओर से जारी किया गया है. इसी मसले पर एमके स्टालिन ने ट्वीट किया है.
श्रीलंका के तमिलों को शामिल करने की थी मांग
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन एक्ट में सिर्फ अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत में नागरिकता दी जाएगी. इसी के बाद डीएमके समेत अन्य दक्षिण की पार्टियों ने अपील की थी कि इनमें श्रीलंका से आए हुए तमिलों को भी शामिल किया जाए. श्रीलंका में तमिलों के साथ अत्याचार हुआ है.
इसी मुद्दे को लेकर चेन्नई में कई रैलियां आयोजित की जा चुकी हैं. बीते दिनों एमके स्टालिन की ओर से चेन्नई में CAA के विरोध में रैली बुलाई गई थी, जिसमें पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम समेत कई कांग्रेस नेता भी शामिल हुए थे. कांग्रेस ने भी संसद में इस सवाल को उठाया था कि CAA में सिर्फ तीन देशों को क्यों शामिल किया गया है.