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मोबाइल कंपनियों की दो टूक, महंगा हो सकता है मोबाइल से बात करना

अनेक मोबाइल कंपनियों ने स्पष्ट कर दिया है कि मोबाइल फोन शुल्क बढ़ने वाले हैं. आने वाले दिनों में ग्राहकों को दी जा रही विभिन्न छूट और रियायतों में कटौती की जाएगी.

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aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 16 फरवरी 2014,
  • अपडेटेड 9:40 AM IST

अनेक मोबाइल कंपनियों ने स्पष्ट कर दिया है कि मोबाइल फोन शुल्क बढ़ने वाले हैं. आने वाले दिनों में ग्राहकों को दी जा रही विभिन्न छूट और रियायतों में कटौती की जाएगी.

दूरसंचार कंपनियों ने हाल ही में नीलामी में ऊंची बोली लगाकर स्पेक्ट्रम खरीदा है, जिसे शुल्क दरों में संभावित वृद्धि का एक कारण बताया जा रहा है. वोडाफोन के सीईओ मार्टिन पीटर्स ने कहा कि दूसंचार उद्योग के लिए समय आ गया है कि जब उसे अपने आपको कारोबार में बनाए रखने के लिए हर साल शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता होगी.

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उन्होंने कहा कि कई अन्य कारकों के साथ हाल ही की स्पेक्ट्रम नीलामी से अगले कुछ वर्षों में मोबाइल दूरसंचार उद्योग की स्थिति खराब होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि यह उद्योग 2010 की नीलामी में हुई ज्यादती से ही नहीं उबर पाया है. पीटर्स ने कहा कि 18 साल तक हमने शुल्क घटाया, ऐसा हमेशा नहीं रह सकता. हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि जब लागत के आधार पर हर साल शुल्क बढ़ाया जाना चाहिए.

हाल में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार को 61,162 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो सरकार के लक्ष्य से अधिक है. नीलामी में आठ दूरसंचार कंपनियों ने भाग लिया और बोली लगाने वाली प्रमुख कंपनियों में वोडाफोन, भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और आइडिया सेल्यूलर रहे. पीटर्स ने कहा कि उद्योग अभी 2010 की नीलामी में की गई अति से नहीं उबरा है और इस नीलामी को अन्य के साथ मिला दिया जाए तो आशंका है कि अगले कुछ साल में उद्योग की स्थिति खराब रहेगी.

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दूरसंचार कंपनियां ग्राहकों को टॉकटाइम आदि के रूप में दी जा रही छूटों में कटौती कर रही हैं. विश्‍लेषकों का मानना है कि यह क्रम जारी रहेगा, क्योंकि उन्हें ताजा स्पेक्ट्रम खरीद के लिए भुगतान करना है. भारती एयरटेल इंडिया के संयुक्त प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने दिसंबर तिमाही के परिणाम के बाद कहा था कि छूटशुदा मिनटों में कमी तथा कॉल दर में चरणबद्ध बढोतरी की गुंजाइश है.

सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन एस मैथ्यू ने कहा था कि शुल्क दरों में वृद्धि के बारे में अभी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगा लेकिन डेटा शुल्क दर बढ़ाने तथा छूटों में कटौती करने का दबाव होगा.

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