
मोबाइल से मोबाइल चार्ज करने के फीचर्स कुछ कंपनियों ने दिया है. पावरफुल बैटरी वाले कुछ स्मार्टफोन को पावर बैंक के तौर पर यूजर करके दूसरा स्मार्टफोन चार्ज किया जा सकत है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि क्या होगा अगर एक स्मार्टफोन से दूसरा स्मार्टफोन वायरलेस चार्ज किया जा सकता है? ठीक वैसे ही जैसे डेटा यूज करने के लिए हम दोस्तों से टेथरिंग ऑन करने के लिए कहते हैं और अपने स्मार्टफोन में इंटरनेट यूज करते हैं.
जापान की टेक्नोलॉजी दिग्गज सोनी ने एक पेंटेंट के लिए आवेदन किया है जिसमें दो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बीच वायरलेस पावर एक्सचेंज के बारे में जिक्र है. इनमें स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर्स, माइक्रोवेव, फ्रिज, टीवी और वॉशिंग मशीन जैसे कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस शामिल हैं. यानी कंपनी ने पहले से अत्याधुनिक टेक्नॉलोजी पर काम कर रही है.
अमेरिकी पेटेंट और ट्रेडमार्क ऑफिस में सोनी ने कॉन्फ्यूगरेशन ऑफ डेटा एंड पावर ट्रांसफर इन नियर फील्ड कंम्यूनिकेशन (NFC) के नाम से पेटेंट के लिए आवेदन किया है. इसके मुताबिक कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बीच पावर और डेटा ट्रांसफर करने के तरीके बताए गए हैं. एनएफसी चिप वाले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस वैसे ही दूसरे डिवाइस को सर्च करके कनेक्ट हो सकता हैं. कनेक्ट हो कर इनके बीच पावर ट्रांसफर भी किया जा सकता है, जैसे वाईफाई हॉट स्पॉट के जरिए कनेक्ट हो कर डेटा ट्रांसफर किया जाता है.
हालांकि इस पेटेंट के डीटेल्स में यह साफतौर पर नहीं लिखा है कि यह टेक्नोलॉजी कैसे काम करेगी और इससे कितनी दूर के डिवाइस में पावर ट्रांसफर किया जा सकता है.
इस पेटेंट में यह भी नहीं बताया गया है कि इन डिवाइस में कौन से प्रोडक्ट होंगे. स्मार्टफोन्स होंगे या कंप्यूटर्स होंगे. यहां सिर्फ इतना लिखा है कि इनमें पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होंगे. जाहिर है पोर्टेबल का मतलब यहां कंप्यूटर, टीवी और स्मार्टफोन हो सकते हैं. उम्मीद की जा सकती है की आने वाले समय में कंपनी इस टेक्नॉलोजी का कॉन्सेप्ट पेश करे.
गौरतलब है कि हाल ही में डिज्नी के रिसर्चर्स ने एक डमोंस्ट्रेशन वीडियो जारी किया था जिसमें एल्यूमिनियम से बने कमरे में वायरलेस चार्जिंग का कॉन्सेप्ट दिखाया गया था. यह कॉन्सेप्ट मौजूदा वायरलेस चार्जिंग से काफी अलग है, क्योंकि फिलहाल वायरलेस मोबाइल चार्जिंग के लिए डॉक यूज करना होता है. ऐसे में यह चार्जिंग वाईफाई की तरह ही काम कर सकती है.