
दो दशक बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री स्विटजरलैंड में 23-26 जनवरी तक आयोजित हो रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने जा रहा है. बीते तीन साल से वित्त मंत्री अरुण जेटली भारत की तरफ से इस सम्मेलन में शरीक हो रहे थे.
स्विटजरलैंड के दावोस शहर में आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दुनियाभर से 350 से अधिक पोलिटिकल लीडर्स पहुंच रहे हैं. इनमें लगभग 60 देशों के प्रमुख भी शामिल हो रहे हैं. खास बात है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के ऐलान के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस सम्मेलन में शरीक होने का ऐलान कर दिया है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा भारत से वित्त मंत्री अरुण जेटली, कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्री सुरेश प्रभू, रेल और कोयला मंत्री पियूष गोयल, पेट्रोलियम और स्किल डेवलपमेंट मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जीतेन्द्र सिंह शामिल हो रहे हैं.
इसे भी पढ़ें: बजट 2018: नई नौकरियां मोदी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती, क्या होगा समाधान?
दावोस में इस सम्मेलन की खासबात यह है कि यहां दुनियाभर से सैकड़ों मल्टीनैशनल कंपनियों के प्रमुख भी एकत्र होते हैं. चार दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का जमावड़ा रहता है.
इस सम्मेलन के दौरान जहां दुनियाभर से एकत्र हुए राष्ट्राध्यक्ष अपने देश के लिए अधिक विदेशी निवेश लुभाने की कोशिश करते हैं वहीं विदेशी निवेशक और मल्टीनैशनल कंपनियां ईंज ऑफ डूईंग बिजनेस के लिए दुनियाभर की अर्थव्यवस्था से बड़े आर्थिक सुधार करने की अपील करते हैं.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह दूसरा स्विटजरलैंड दौरा है. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी जून 2016 में स्विटजरलैंड के दौरे पर गए थे. इस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने कालेधन पर लगाम के लिए स्विटजरलैंड सरकार से भारतीयों द्वाका पैसा जमा कराए जाने पर ऑटोमैटिक आधार पर सूचना देने पर सहमति बनाने का काम किया था.
प्रधानमंत्री मोदी के इसी दौरे पर दोनों सरकारों ने कालेधन के मुद्दे पर गंभीर वार्ता की थी और दोनों देशों ने टैक्स चोरी पर लगाम लगाने के लिए अहम सहमति भी बनाई थी. इस दौरे के लगभग 6 महीने बाद प्रधानमंत्री मोदी ने देश में कालेधन पर बड़ा हमला करने के लिए नोटबंदी का ऐलान किया था.