Advertisement

मोदी@4: उपचुनाव में नहीं चली मोदी लहर, विपक्ष ने छीन लीं 7 सीटें

2014 के बाद से देश में लोकसभा की 21 सीटों के लिए उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 11 सीटें बीजेपी के कब्जे में थीं लेकिन अब इनमें से महज चार सीटें ही बीजेपी बरकरार रख सकी है. 21 में से 17 सीटें विपक्ष के नाम रहीं. यानी बीजेपी ने 7 सीटें गंवा दीं

नरेंद्र मोदी और अमित शाह नरेंद्र मोदी और अमित शाह
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2018,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 'मोदी लहर' के सहारे बीजेपी ने कमल खिलाकर पूरे देश को भगवा रंग में रंग दिया था. नरेंद्र मोदी 282 लोकसभा सीटों के साथ सत्ता पर विराजमान हुए. 1984 के बाद के 30 सालों में बीजेपी ऐसी पहली पार्टी बनी, जिसने अपने दम पर बहुमत हासिल किया. लेकिन मोदी राज के चार साल में ये रंग फीका पड़ा है. कम से कम लोकसभा उपचुनाव के नतीजे तो यही कहते हैं जहां विपक्ष से मोदी सरकार को झटके पर झटके सहने पड़े हैं. नतीजा ये रहा कि बीजेपी लोकसभा में 282 सीटों से घटकर 270 पर आ गई है.

Advertisement

2014 के बाद से देश में लोकसभा की 21 सीटों के लिए उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 11 सीटें बीजेपी के कब्जे में थीं लेकिन अब इनमें से महज चार सीटें ही बीजेपी बरकरार रख सकी है. 21 में से 17 सीटें विपक्ष के नाम रहीं. यानी बीजेपी ने 7 सीटें गंवा दीं, तीन पर इस समय उपचुनाव चल रहे हैं जबकि दो पर कर्नाटक में उसके नेताओं का इस्तीफा हो चुका है. 270 सीटों के बावजूद बीजेपी केंद्र की सत्ता में अब भी मजबूत है, लेकिन उसकी निर्भरता अपने एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों पर बढ़ी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के चुनाव में दो लोकसभा सीट पर चुनाव लड़े थे. इनमें गुजरात की वडोदरा और यूपी की वाराणसी सीट शामिल थी. उन्होंने दोनों सीटों पर भारी मतों से जीत हासिल करने के बाद वडोदरा  सीट से इस्तीफा दे दिया था. मोदी की तरह ही मुलायम सिंह यादव भी मैनपुरी और आजमगढ़ सीट से जीते थे. उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे के निधन के चलते खाली हुई बीड लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव हुए. इनमें से बीजेपी जहां वडोदरा और बीड सीट बचाने में कामयाब रही, वहीं सपा ने भी मैनपुरी सीट बचा ली.

Advertisement

मध्य प्रदेश के रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट उपचुनाव से बीजेपी की हार का सिलसिला शुरू हुआ. 2015 में 'मोदी लहर' के रास्ते में रुकावट रतलाम सीट बनी और बीजेपी ने इस सीट को कांग्रेस के हाथों गंवा दिया. साल 2014 से अब तक हुए उपचुनाव में बीजेपी अपनी सिर्फ 4 सीटें बचा पाई है.

साल 2017 और 2018 में हुए लोकसभा उपचुनाव में मोदी लहर की रफ्तार कुंद पड़ी. बीजेपी ने गुरदासपुर, अलवर, अजमेर, गोरखपुर, फूलपुर सीटें गंवा दीं. 2017 में पंजाब की गुरुदासपुर लोकसभा सीट विनोद खन्ना के निधन के चलते रिक्त हुई थी, जिसे कांग्रेस के सुनील जाखड़ ने जीत लिया.

इसी साल मार्च में यूपी के गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली थी. यूपी बीजेपी अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य की सीट बचाने में भी नाकामयाब रही. बीजेपी के इन सीट पर हार के मायने कुछ अलग थे, क्योंकि दोनों सीटों पर सालों तक दुश्मन रही एसपी-बीएसपी ने मिलकर बीजेपी के साथ मुकाबला किया था.

कैराना, गोंदिया-भंडारा, पालघर में हो रहे उपचुनाव

फिलहाल, बीजेपी के पास यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की गोंदिया-भंडारा और पालघर में अपनी सीटें बचाने की चुनौती है. बता दें कि बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद से कैराना लोकसभा की सीट खाली है. भंडारा-गोंदिया सीट से पिछले साल बीजेपी के नाना पटोले ने इस्तीफा दे दिया था और वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वहीं बीजेपी सांसद चिंतामणि वनगा के निधन के बाद पालघर सीट खाली हुई है.

Advertisement

बीजेपी को इन तीनों सीटों पर विपक्ष से कड़ी टक्कर का सामना करना होगा. कैराना में बीजेपी के सामने आरएलडी-एसपी गठबंधन समेत पूरा विपक्ष एकजुट है. जबकि पालघर और गोंदिया-भंडारा में उसे कांग्रेस-एनसीपी का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले बीजेपी के नेता बीएस येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलू ने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.  इससे भी पार्टी की दो सीटें कम हुई हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement