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जानिए क्या है भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक, क्या इससे रुकेंगे नीरव-माल्या जैसे मामले?

देश में बढ़ते बैंक फ्रॉड के मामलों और नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे केस में बैंकों का करोड़ों लेकर विदेश भाग जाने की घटनाओं को रोकने के लिए मोदी सरकार आर्थिक अपराध विधेयक, 2018 लेकर आई है. आखिर इस विधेयक से क्या बदलाव आएगा. जानते हैं आखिर इस विधेयक में क्या प्रावधान हैं और कैसे इससे आर्थिक अपराध पर अंकुश लगेगा.

पीएम मोदी के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली पीएम मोदी के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:10 AM IST

देश में बढ़ते बैंक फ्रॉड के मामलों और नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे केस में बैंकों का करोड़ों लेकर विदेश भाग जाने की घटनाओं को रोकने के लिए मोदी सरकार आर्थिक अपराध विधेयक, 2018 लेकर आई है. वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने सोमवार को लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया.

अब इस विधेयक पर संसद में बहस होगी और इसे पारित कराने के लिए सरकार जोर लगाएगी. बीजेपी ने अगले तीन दिन तक संसद में अपने सांसदों को उपस्थित रहने का व्हिप भी जारी किया है. आखिर इस विधेयक से क्या बदलाव आएगा. जानते हैं आखिर इस विधेयक में क्या प्रावधान हैं और कैसे इससे आर्थिक अपराध पर अंकुश लगेगा.

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विधेयक के प्रावधान-

-विधेयक में भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्यायालय द्वारा व्यक्ति की भारत में या भारत के बाहर कोई संपत्ति (जो अपराधी के स्वामित्व वाली है या नहीं और जो उसकी बेनामी संपत्ति है) उसे जब्त करने का आदेश देने का प्रावधान है.

-विधेयक में प्रावधान है कि 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम के ऐसे अपराध करने के बाद, जो व्यक्ति फरार है या भारत में दंडनीय अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिए भारत वापस आने से इनकार करता है, उसकी संपत्ति और अपराध से अर्जित संसाधनों की कुर्की की जा सकती है.

-इसमें किसी भगोड़े आर्थिक अपराधी की कोई सिविल दावा करने या बचाव करने की हकदारी नहीं होने का भी प्रावधान है.

आखिर क्या है विधेयक लाने का मकसद?

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विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है- ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं जिसमें लोग आर्थिक अपराध की दंडनीय कार्यवाही शुरू होने की संभावना में या कभी कभी कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र से पलायन कर गये हैं. भारतीय अदालतों से ऐसे अपराधियों की अनुपस्थिति के अनेक हानिकारक परिणाम हुए हैं और मामलों में जांच में बाधा उत्पन्न होती है. इससे न्यायालयों का समय व्यर्थ होता है और इससे भारत में विधि शासन कमजोर होता है. इस समस्या का समाधान करने के लिए और आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर बने रहने के माध्यम से भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने से हतोत्साहित करने के उपाय के लिए भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 अधिनियमित करने का प्रस्ताव है.

किन प्रावधानों पर है आपत्तियां

सरकार भले ही इस विधेयक को आर्थिक अपराध पर रोकथाम के लिए मास्टरस्ट्रोक बता रही हो लेकिन विपक्षी दलों को इसे लेकर आपत्तियां भी हैं. बीजेडी सांसद भतृहरि महताब ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर विरोध दर्ज कराते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई है. और सरकार को इसे फिर से तैयार करके लाने की सलाह दी. हालांकि वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने कहा कि इसका कोई आधार नहीं है.

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फिर भी बनी रहेंगी ये चुनौतियां

देश में आर्थिक अपराध कर और बैंकों से फ्रॉड के जरिए पैसे लेकर विदेश भाग जाने वाले लोगों के खिलाफ ये विधेयक सरकार को लीगल एक्शन का आधार देगा. जिसके आधार पर सरकार बाकी देशों से जरूरी कार्रवाई का अनुरोध कर पाएंगी. लेकिन साथ ही दूसरे देशों के कानून, उन कानूनों के जरिए वहां की नागरिकता ले लेने वाले लोगों को मिली सुरक्षा से निपटना फिर भी बड़ी चुनौती होगी. गौरतलब है कि विजय माल्या के मामले में ये कानूनी पेचीदगी सामने आई है. माल्या के पास विदेशी नागरिकता है जिस कारण वहां के कानून से मिली सुरक्षा कानूनी कार्रवाई में देरी का कारण बन रही है. इसी तरह नीरव मोदी भी अपनी नागरिकता का स्टेटस एनआरआई करवा चुका है. अब देश से फरारी के बाद इनके खिलाफ कार्रवाई आसान नहीं दिख रही. मोदी सरकार ये कानून विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारियों द्वारा बैंकों का अरबों रुपये का कर्ज नहीं लौटाने और देश से बाहर चले जाने की पृष्ठभूमि में लेकर आई है.

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