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जगजीवन राम की विरासत पर दावे की तैयारी में BJP, फिल्म के लिए 2 करोड़ देगी मोदी सरकार

मोदी सरकार कांग्रेस के एक और बड़े नेता की विरासत पर दावा जताने की तैयारी में हैं. ये नेता हैं दिवंगत बाबू जगजीवन राम.

फाइल फोटो फाइल फोटो
राम कृष्ण/खुशदीप सहगल/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 10:26 PM IST

कांग्रेस नेता और देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत पर अपना हक जताने की कोशिश बीजेपी और मोदी सरकार की ओर से लगातार की जाती रही है. डॉ बी आर अंबेडकर की स्मृति में भी बढ़-चढ़कर आयोजन किए जाते रहे हैं. मोदी सरकार कांग्रेस के एक और बड़े नेता की विरासत पर दावा जताने की तैयारी में हैं. ये नेता हैं दिवंगत बाबू जगजीवन राम.

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कांग्रेस की ओर से कभी सबसे बड़े दलित चेहरे रहे जगजीवन राम के सम्मान में सरकार कई कदम उठाने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक बाबू जगजीवन राम पर फिल्म बनाने के लिए मोदी सरकार की ओर से टोकन मनी के तौर पर 2 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया जाएगा. साथ ही उनकी जीवनी को स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा. हर साल जगजीवन राम की याद में लेक्चर का आयोजन भी किया जाएगा.

बिहार में जन्मे जगजीवन राम ने कोलकाता में युवा मजदूर नेता के तौर पर सबसे पहले पहचान बनाई. आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू की अंतरिम कैबिनेट में जगह बनाने वाले जगजीवन राम सबसे युवा सदस्य थे. आजादी के बाद कांग्रेस से तीन दशक तक जुडे़ रहने के बाद आपातकाल के चलते जगजीवन राम ने अलग राह पकड़ते हुए हेमवती नंदन बहुगुणा के साथ अपनी अलग पार्टी 'कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी' बनाई. 1977 में हुए आम चुनाव में जगजीवन राम की पार्टी ने जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाया.

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इस चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली थी. यहां तक कि इंदिरा गांधी खुद भी चुनाव हार गई थीं. जनता पार्टी से अलग होने के बाद जगजीवन राम ने कांग्रेस (जे) के नाम से अलग पार्टी भी बनाई थी. 1984 चुनाव में जगजीवन राम खुद तो अपनी लोकसभा सीट बचाने में कामयाब रहे लेकिन उनकी पार्टी कांग्रेस (जे) बुरी तरह नाकाम रही. 1986 में जगजीवन राम का निधन हुआ.

दलित नेता जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार का शुमार कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में होता है. पूर्व आईएफएस अधिकारी मीरा कुमार के नाम 2009 में लोकसभा की पहली महिला स्पीकर चुने जाने की उपलब्धि हासिल हैं. 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में मीरा कुमार को यूपीए ने अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन उन्हें एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के सामने हार का सामना करना पड़ा.

 

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