
लागू होने के दो साल बाद नोटबंदी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन गया है. कांग्रेस लगातार इस मसले पर मोदी सरकार पर प्रहार कर रही है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर जनसभा में नोटबंदी को भ्रष्टाचार पर रोक लगाने वाला कदम बता रहे हैं. हालांकि मोदी कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं करते कि जब नोटबंदी के बाद तकरीबन सारी करेंसी बैंकों में वापस आ गई तो भ्रष्टाचार पर लगाम कैसे लगा. ऐसे में मितभाषी और मृदुभाषी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार को नोटबंदी और जीएसटी के मसले पर बड़ा हमला किया है.
डॉ. सिंह ने मध्य प्रदेश के इंदौर में नोटबंदी और जीएसटी को नासमझ और बेतुके फैसले बताते हुए इसे ‘सरकार प्रायोजित टैक्स टेररिज्म’ का नाम दिया है और आरोप लगाया कि इन फैसलों के जरिए सरकार ने संगठित और असंगठित क्षेत्रों पर कड़ा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि छोटे, मंझोले और लघु उद्योग और कारोबार नोटबंदी और जीएसटी की दोहरी मार से बंद होने की कगार पर हैं.
डॉ. सिंह ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार नोटबंदी को सही साबित करने के लिए ‘हर रोज एक झूठी कहानी’ गढ़ने में व्यस्त है. लेकिन सचाई यह है कि नोटबंदी मोदी सरकार द्वारा लागू एक भयावह और ऐतिहासिक भूल साबित हुई है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का कोई भी मकसद पूरा नहीं हुआ. न तो 3 लाख करोड रु. का काला धन पकड़ा गया, जिसका दावा मोदी सरकार ने 10 नवंबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के सामने किया था और न ही ‘जाली नोटो’ पर लगाम लगी. आतंकवाद और नक्सलवाद को रोकने के दावे भी खोखले साबित हुए.
रोजगार और नौकरियों के बारे में मोदी सरकार के वादों और दावों के बारे में भी डॉ. मनमोहन सिंह ने कड़ा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि श्रम ब्यूरो के आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि हर तिमाही केवह कुछ हजार रोजगार ही उत्पन्न हुए और ये आंकड़े दो करोड़ नौकरियां देने के अच्छे दिन के झूठे वादों की पोल खोलते हैं. डॉ. सिंह ने सरकार से पूछा कि क्या वजह रही कि सरकार ने अक्तूबर-दिसंबर 2017 में श्रम ब्यूरो के आंकड़े जारी ही नहीं किए?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की नाकामी पर भी डॉ. मनमोहन सिंह ने सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत से डेढ़ गुना करने का मोदी का वादा भी महज एक जुमला ही साबित हुआ है. सच तो यह है कि किसानों को एमएसपी भी नहीं मिल पा रहा है. दूसरी तरफ खाद, कीटनाशक दवाओं और कृषि उपकरणों पर जीएसटी से किसानों पर बोझ बढ़ा ही है. डॉ. सिंह ने फसल बीमा का जिक्र करते हुए कहा कि पीएमएफबीवाई के तहत किसानों की संख्या में महज 0.42 फीसदी की बढ़ोतरी ही हुई जबकि कंपनियों को दी जाने वाली प्रीमियम राशि में 350 फीसदी वृद्धि हुई. (इसकी रिपोर्ट सबसे पहले इंडिया टुडे ने की थी)
***