
भारतीय मामलों के एक अमेरिकी एक्सपर्ट ने पीएम मोदी की सरकार के रिकॉर्ड को मिला-जुला बताया है. अमेरिकन एंटरप्राइस इंस्टीट्यूट में रेजीडेंट फेलो सदानंद धूमे के मुताबिक, निवेशकों को लुभाने के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद सरकार ने साहस के बजाय सावधानी बरतने को प्राथमिकता दी.
सरकार ने की इन्वेस्टर्स को लुभाने की कोशिश
सदानंद धूमे ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सांसदों से कहा, ‘अब तक मोदी सरकार का रिकॉर्ड मिला-जुला रहा है. निवेशकों के लिए रेड कार्पेट बिछाने को लेकर उसने अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया है। हालांकि, गहरे संचरनात्मक सुधार के बारे में सरकार को या तो विपक्ष की बाधाओं का सामना करना पड़ा है या उसने खुद साहस के बजाय सावधानी बरतने को प्राथमिकता दी है।’
बहुमत के बाद भी मोदी सरकार की हुई आलोचना
वॉल स्ट्रीट जर्नल में कॉलम लिखने वाले धूमे ने कहा, 'संसद के निचले सदन (लोकसभा) में अच्छा बहुमत मिलने के बावजूद मोदी सरकार की आलोलना हुई. बीजेपी सरकार ने पिछली सरकार के बनाये गये आर्थिक संबंधी कई कानूनों को बदलने के लिए कुछ नहीं किया।'
बंद नहीं किया रोजगार गांरटी कार्यक्रम
धूमे ने कहा कि अरबों डॉलर की बर्बादी करने वाले पिछली सरकार के ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम को बंद करने के बजाय मोदी सरकार ने उसको दिए जाने वाला वित्त पोषण रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा दिया. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में बहुत कुछ हासिल किया गया है.
निवेश के नियमों में दी गई ढील
अमेरिकी एक्सपर्ट ने कहा, ‘रक्षा, बीमा और खाद्य प्रसंस्करण समेत विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश के नियमों में ढील दी गई. मई 2014 और दिसंबर 2015 के बीच भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 33 फीसदी से बढ़कर 64 अरब डॉलर हो गया. मोदी के निर्वाचन से 20 महीने पहले यह 48 अरब डॉलर था.’
ताइवन और दक्षिण कोरिया की कंपनियां करना चाहती हैं निवेश
उन्होंने सांसदों को बताया, ‘ताइवान की फॉक्सकॉन और दक्षिण कोरिया की पॉस्को समेत विभिन्न उच्च स्तरीय कंपनियों ने भारत में अरबों डॉलर के ताजा निवेश का संकल्प लिया है. बड़े अमेरिकी निवेशकों में जनरल इलेक्ट्रिक, जनरल मोटर्स, उबर और ओरेकल शामिल हैं.’ धूमे ने सांसदों से कहा कि वाशिंगटन को एक समृद्ध और मजबूत लोकतंत्र के रूप में हो रहे भारत के उदय को प्रोत्साहित करना जारी रखना चाहिए।
अंजलि कर्मकार