
मोदी सरकार लगातार मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने में जुटी है, लेकिन अपनी पुरानी नीतियों को बदलने से उसके इस अभियान पर असर पड़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अपनी ही नीतियों से यू-टर्न लेना मोदी सरकार के इस अभियान को प्रभावित करेगा.
रेलवे ने बदली डील
विशेषज्ञों की यह चिंता भारतीय रेलवे के एक फैसले के बाद आई है. भारत सरकार ने 100 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंजूरी देने के बाद यूएस फर्म जीई को सबसे पहला काॅन्ट्रैक्ट दिया था. रेलवे ने जीई के साथ 2.6 अरब डाॅलर (करीब 17,102 करोड़ रुपये) का काॅन्ट्रैक्ट किया था. इसके मुताबिक जीई को रेलवे को 1000 डीजल लोकामोटिव्स बना कर देने थे. लेकिन अब भारतीय रेलवे ने डीजल लोकोमोटिव की जगह कंपनी को इलेक्ट्रिक इंजन बनाने के लिए कहा है.
हो सकता है नुकसानदायी
रिसर्च फर्म ट्रस्टेड सोर्सेज के राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ अमिताभ दुबे कहते हैं कि नई दिल्ली की तरफ से पूर्व में तय नीति से पीछे हटना काफी नुकसानदायी साबित हो सकता है. जीई ने सबसे पहले भारत में इतने बड़े स्तर पर निवेश किया था. ऐसे में लोगों की नजर इस मामले पर बनी रहेगी.
विदेशी निवेश पर पड़ेगा असर
दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार ने इन लोगों को लाने के लिए काफी मेहनत की थी, लेकिन अब दो साल बाद अपनी योजना बदल देना काफी लोगों को परेशान कर सकती है. इसका सीधा असर विदेशी निवेश पर पड़ेगा.
जीई शुरू कर चुकी है काम
दरअसल भारतीय रेलवे का यूं मूड़ बदलना इसलिए भी मेक इन इंडिया पर असर डाल सकता है क्योंकि जीई ने भारत में डीजल लोकोमोटिव बनाने के लिए फैक्ट्री का निर्माण शुरू कर दिया है. विशेषज्ञ और समीक्षकों का कहना है कि यह सरकार के लिए भी चुनौती है. क्योंकि देश में रोजगार पैदा करने के लिए सरकार को विदेशी निवेश की जरूरत है. ऐसे में इस फैसले की वजह से निवेश पर असर पड़ सकता है.
रोजगार बढ़ाने में मददगार
जीई ने बिहार में फैक्ट्री बनाने का काम शुरू कर दिया है. उसने पहला डीजल लोकोमोटिव भी भारत भेज दिया है. यही नहीं, उसने अपने प्लांट में 1 हजार से भी ज्यादा लोगों के लिए रोजगार पैदा किए हैं. इसके अलावा सप्लाई नेटवर्क के जरिये उन्होंने 5 हजार नौकरियां तैयार की हैं.
जीई ने जाहिर की नाराजगी
जीई ने भी रेलवे की तरफ से डीजल लोकोमोटिव से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव बनाने के लिए कहने पर नाराजगी जाहिर की है. कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारतीय रेलवे के इस फैसले का असर भविष्य में होने वाले विदेशी निवेश पर पड़ेगा.
घट रहा एफडीआई
मोदी सरकार के आने के बाद देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश काफी बढ़ा था. वित्तीय वर्ष 2016-17 में यह 60 अरब डाॅलर (3.94 लाख करोड़ रुपये) हो गया था, जो कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले के मुकाबले डबल था. लेकिन मोदी सरकार के दौर में दो साल तक 20 फीसदी तक बढ़त हासिल करने के बाद यह घटना शुरू हो गया है. एफडीआई ग्रोथ में कमी देखने को मिली है.
बदलाव के लिए रहना चाहिए तैयार
हालांकि लाॅ फर्म शार्दुल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर संदीप बेरी कहते हैं कि भारत जैसे बड़े देश में कुछ बदलावों को त्वरित करना होता है. ऐसे मंें विदेशी कंपनियों को खुद को इसके हिसाब से तैयार करना चाहिए.