
केंद्र में मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के साथ ही अब आरआरएस को अपने कोर एजेंडे हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की चिंता सता रही है. अब संघ इसका आकलन करने में जुटा है कि आखिर मोदी सरकार के तीन वर्षों में विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने कितना सफर तय किया है.
संघ को लगता है कि विकास के कामों के साथ-साथ 2019 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का मुद्दा ही बीजेपी की सत्ता वापसी के लिए बड़ा हथियार साबित होगा. संघ को लगता है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन साल पूरे होने के साथ-साथ देश में भी बीजेपी शासित राज्यों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है.
संघ अब मोदी सरकार के मंत्रालयों की तीन साल के कामों की समीक्षा करेगा, जिसकी शुरुआत संस्कृति मंत्रालय से होगी. संघ ने इसके लिए 5 और 6 जून को दिल्ली में एक बड़ी बैठक बुलाई है. इस बैठक में संघ की तरफ से सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले रहेंगे. दूसरी तरफ मोदी सरकार की तरफ से बैठक में केंद्रीय पर्यटन एंव संस्कृति मंत्री महेश शर्मा सरकार के कामकाज की रिपोर्ट देंगे. बीजेपी की तरफ से पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे कमान संभालेंगे.
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंडे पर केंद्र की सरकार ने तीन साल में कितना काम किया है और बीजेपी शासित राज्य इस एजेंडे पर कितना खरे उतरे हैं. बैठक में बीजेपी शासित तमाम राज्यों के संस्कृति मंत्रियों को भी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को लेकर अब तक किए गए कामों और आगे की योजना पर रिपोर्ट कार्ड के साथ बुलाया गया है.
दरअसल संघ नेतृत्व ये बात अच्छे से जानता है कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व ही बीजेपी के राजनीतिक जीत का आधार रहा है. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के आधार पर संघ के मार्गदर्शन में बीजेपी 2019 की लड़ाई जीतने की रणनीति बना रही है.