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'टाइम' के इंटरव्यू में बचपन को याद कर भावुक हुए PM, बोले-'गरीबी मेरी प्रेरणा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार मशहूर अमेरिकी मैगजीन 'टाइम' के कवर पेज पर छपे हैं. मैगजीन ने प्रधानमंत्री का लंबा इंटरव्यू भी छापा है. इस इंटरव्यू के दौरान अपने बचपन और गरीबी को याद कर प्रधानमंत्री भावुक हो गए और कहा कि गरीबी उनकी पहली प्रेरणा बनी.

PM Narendra Modi PM Narendra Modi
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2015,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार मशहूर अमेरिकी मैगजीन 'टाइम' के कवर पेज पर छपे हैं. मैगजीन ने प्रधानमंत्री का लंबा इंटरव्यू भी छापा है. इस इंटरव्यू के दौरान अपने बचपन और गरीबी को याद कर प्रधानमंत्री भावुक हो गए और कहा कि गरीबी उनकी पहली प्रेरणा बनी.

प्रधानमंत्री ने भारत-चीन संबंधों पर भी अहम बयान देते हुए तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि 25 साल से दोनों देशों के बीच एक गोली भी नहीं चली है. याद रहे कि प्रधानमंत्री एक हफ्ते बाद चीन दौरे पर रवाना हो रहे हैं.

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मोदी ने 2 मई को इस मैगजीन के एडिटर नैंसी गिब्स, एशिया के एडिटर जोहर अब्दुल करीम और साउथ एशिया के ब्यूरो चीफ निखि‍ल कुमार को दो घंटे लंबा इंटरव्यू दिया था. खास बात यह है कि मोदी ने अपने इंटरव्यू के ज्यादातर हिस्से में हिंदी में ही जवाब दिए.

धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सभी धर्मो को एकसमान दृष्टि से देखती है और किसी भी प्रकार के भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेगी. टाइम पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की धारणा 'सबका साथ, सबका विकास' की है.

अपने दो घंटे के साक्षात्कार में मोदी ने कहा, 'जहां कहीं भी अल्पसंख्यक धर्म के बारे में नकारात्मक विचार व्यक्त किए जा सकते हैं, हमने उसे तुरंत नकार दिया.' उन्होंने कहा, 'जहां तक सरकार का सवाल है तो उसके लिए केवल एक पवित्र ग्रंथ है, भारत का संविधान. देश की एकता और अखंडता शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं.'

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प्रधानमंत्री ने कहा, 'सभी धर्मो और सभी समुदायों को समान अधिकार हैं, और उनकी पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करना मेरी जिम्मेदारी है.' उन्होंने कहा, 'मेरी सरकार जाति, संप्रदाय और धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव बर्दाश्त अथवा स्वीकार नहीं करेगी.'

'चीन के साथ व्यापार में कंपटीशन करेगा भारत'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चीन के साथ सहयोग करता है और इसके साथ ही वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में प्रतियोगिता भी करेगा. टाइम पत्रिका में प्रकाशित साक्षात्कार के मुताबिक मोदी ने यह भी कहा कि 1962 के युद्ध के बाद से दोनों ही देशों ने इतिहास से सबक लिया है.

उन्होंने कहा, 'बीते करीब तीन दशकों से आज तक जब हम 21वीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं, भारत-चीन सीमा पर साधारण तौर पर शांति बनी हुई है.' मोदी ने कहा, 'तीन दशकों में सीमा पर एक भी गोली नहीं चली है. इससे साबित होता है कि दोनों देशों ने इतिहास से सीख ली है.'

मोदी ने स्वीकार किया कि भारत-चीन सीमा के बड़े हिस्से पर अब भी विवाद है. प्रधानमंत्री ने कहा, 'फिर भी, दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग सुनिश्चित कर पिछले एक-दो दशकों में परिपक्व ता का परिचय दिया है. यह सहयोग पिछले 20-30 सालों में काफी बढ़ा है और आज दोनों देशों में बड़े पैमाने पर आपसी व्यापार, निवेश और परियोजनाओं के लिए साझेदारी हो रही है.'

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उन्होंने कहा, 'मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए हम ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जहां हम अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग करते हुए भी वाणिज्य और व्यापार में प्रतियोगिता कर रहे हैं.'

वैश्विक स्तर पर चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में पूछने पर मोदी ने कहा, 'मैं मानता हूं कि दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव नहीं बढ़ाना चाहेगा, चाहे उसकी आबादी 10 लाख हो या ज्यादा.'

उन्होंने कहा, 'किसी भी देश के लिए यह स्वाभाविक है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करे.' मोदी ने कहा, 'मैं मानता हूं कि अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानवीय मूल्यों का सम्मान करते हुए और इन दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए हर देश को वैश्विक समुदाय के हित के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति और प्रभाव बढ़ाने का हक है.'

टाइम ने मोदी से पूछा कि इस महीने बीजिंग की यात्रा से पहले क्या वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कोई विशेष संदेश देना चाहेंगे.

इस पर मोदी ने कहा, 'मैं यह मानता हूं कि किसी भी दो देशों का रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि एक-दूसरे से संवाद करने के लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं होनी चाहिए.' उन्होंने कहा, 'अभी हमारे संबंध का स्तर ऐसा ही है.'

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'आतंकवादी अच्छे या बुरे नहीं हो सकते'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी नीतियों की परोक्ष आलोचना करते हुए कहा कि दुनिया को आंतकवादियों को बुरे और खराब में बांटकर देखना बंद करना होगा. मोदी ने 'टाइम' पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा है, 'हमें आंतकवाद को नाम लिखी तख्तियों के रूप में नहीं देखना चाहिए कि वे किस आतंकवादी समूह से आते हैं, उनकी भौगोलिक स्थिति क्या है और उनसे पीड़ित होने वाले कौन हैं.'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस तरह के समूह या उनके नाम बदलते रहते हैं. आज आप तालिबान या आईएसआईएस को देख रहे हैं, कल हो सकता है ये आपको किसी और नाम से दिखाई दें.'

अपनी सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर मोदी ने अपने साक्षात्कार में कहा कि आतंकवाद को राजनीतिक नजरिए से देखना बंद करना बेहद अहम है, बल्कि इसे मानवीय मूल्य के आधार पर मानवता के खिलाफ एक ताकत की तरह विश्लेषित करने की जरूरत है.

मोदी ने कहा, 'अगर आप सीरिया में आतंकवाद को किसी और नजरिए से और सीरिया के बाहर आतंकवाद को दूसरे नजरिए से देखते हैं तो इससे परेशानी खड़ी हो सकती है.'

उन्होंने आगे कहा, 'अगर आप आतंकवाद को श्रेणियों में देखते हैं, जैसे अच्छा आतंकवाद या बुरा आतंकवाद तो इससे भी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं. इसी तरह यदि आप तालिबान को अच्छा तालिबान या बुरा तालिबान के रूप में देखते हैं तो इससे अपनी तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं.'

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मोदी ने कहा, 'हमें इन प्रश्नों को व्यक्तिगत तौर पर नहीं देखना चाहिए. हमें इन समस्याओं पर एकस्वर होना पड़ेगा, न कि अलग-अलग, क्योंकि आतंकवाद की समस्या पर इसके कारण दुनिया का ध्यान बंटा हुआ रह जाता है. मेरा मानना है कि इसे आसानी से किया जा सकता है.'

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद व्यापक संधि को मंजूरी दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, 'इससे कम से कम यह स्पष्ट होगा कि आप किसे आतंकवादी के तौर पर देखें और किसे नहीं. हमें आतंकवाद को धर्म से जोड़ना बंद करना होगा ताकि आतंकवादियों को अलग-थलग किया जा सके, क्योंकि ये आतंकवादी अपनी बात रखने के लिए इसी धर्म का सहारा लेते हैं.'

(इनपुट: IANS)

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