
आतंकवाद और अफगानिस्तान-पाकिस्तान मुद्दे पर मोदी-ट्रंप मुलाकात से भारत और अमेरिका की नजदीकी और बढ़ गया है. यह रिश्ता पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौर से भी मजबूत हो गया है. सोमवार को दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात से ठीक पहले अमेरिका ने सैय्यद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी करार दिया. वहीं मुलाकात के बाद दोनों देशों ने दुनियाभर से इस्लामिक आतंकवाद का सफाया करने का फैसला किया.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस्लामिक आतंकवाद को अहम मुद्दा करार देते रहे है. लेकिन इस मुलाकात से पहले प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ने से परहेज करते रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के साझा बयान से दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्ते की झलक दिखती है. दोनों नेताओं ने पहली बार घरेलू और वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए राय-मशविरा के तहत नया चैनल खोला है. इसके चलते दोनों अमेरिका और भारत साझे प्रयास से घरेलू आतंकवादी और वैश्विक आतंकवादी घोषित कर सकेंगे.
मौजूदा समय में अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस साझे प्रयास के तहत संयुक्त राष्ट्र की 1267 कमेटी के सामने मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि बीते एक साल से उनके इस साझे प्रयास को चीन से विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि ट्रंप ने अपने बयान में कहा है कि दोनों अमेरिका और भारत आंतकवाद की बुराई से ग्रस्त हैं. इसे देखते हुए दोनों देश आतंकवादी संगठनों और इन्हें चलाने वाली रैडिकल विचारधारा का सफाया करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. दोनों देश मिलकर दुनिया से इस्लामिक आतंकवाद का सफाया कर देंगे. ट्रंप के इस बयान से साफ है कि मोदी-ट्रंप मुलाकात में पाकिस्तान के खिलाफ बयान देने में कोई संकोच नहीं किया गया. दोनों नेताओं ने एक साथ साफ-साफ संदेश दिया कि दुनिया का कोई भी देश अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए नहीं कर सकता.
वहीं अफगानिस्तान पर साझे बयान के जरिए अमेरिका ने भारत के शांति प्रयासों की भी प्रशंसा की. ट्रंप ने कहा कि अफगानिस्तान में आंतकवाद के चलते बिगड़ती स्थिति अमेरिका और भारत के लिए बड़ी परेशानी है. दोनों देशों ने लंबे समय से अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के प्रयास किए हैं. और उसे सुरक्षित रखने की कोशिश भी की है. अपनी इस मुहिम को और मजबूत करने के लिए दोनों देश अब साझे प्रयास का सहारा लेंगे. इन दोनों ही बातों से साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप और नरेन्द्र मोदी की मुलाकात से भारत-अमेरिका रिश्ता एक नई उंचाई पर पहुंचा है. जाहिर है भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए यह मुलाकात पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान हुई मोदी-ओबामा मुलाकात से अधिक अहम रही.