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BJP-संघ के रिश्ते पर भागवत की सफाई, नागपुर से नहीं जाती सरकार को कॉल

आरएसएस और बीजेपी के रिश्ते जगजाहिर हैं. संघ पर ये आरोप भी लगता रहा है कि बीजेपी को रिमोट से चलाता है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह धारणा बिल्कुल गलत है कि संघ मुख्यालय नागपुर से सरकार या किसी पदाधिकारी को कॉल किया जाता है. 

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रत्यक्ष तौर पर राजनीति में हिस्सा नहीं लेता है और न ही चुनाव लड़ता है. इसके बावजूद संघ पर आरोप लगता रहा है कि बीजेपी को रिमोट से कंट्रोल करता है. इतना ही नहीं बीजेपी के सत्ता में आने पर नीति निर्धारण और सरकार पर नियंत्रण रखता है. इन आरोपों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पहली बार सफाई दी और कहा कि उनका संगठन बीजेपी की राजनीति या उसकी सरकार की नीतियों को निर्देशित नहीं करता है.

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नागपुर से नहीं जाती कॉल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन मंगलवार को भागवत ने कहा कि यह धारणा बिल्कुल गलत है कि संघ मुख्यालय नागपुर से कॉल किया जाता है और (उसके तथा सरकारी पदाधिकारियों के बीच) बातचीत होती है. यह धारणा इसलिए भी है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसों का नाता संघ से रहा है.

स्वयंसेवक किसी भी पार्टी में जा सकते हैं

भागवत ने यह भी कहा कि आरएसएस कभी अपने स्वयंसेवकों को किसी राजनीतिक दल के लिए काम करने को नहीं कहता है. उन्होंने कहा कि संघ सलाह नहीं देता है, बल्कि मांगे जाने पर सुझाव पेश करता है. हालांकि उन्होंने भाजपा या उसके किसी भी नेता का नाम नहीं लिया.

आरएसएस प्रमुख ने राजनीति पर संघ के रूख के बारे में विस्तार से चर्चा की और दावा किया कि संघ अपने स्वयंसेवकों को किसी विशेष राजनीतिक दल का समर्थन करने के लिए नहीं कहता है, बल्कि उन्हें सलाह देता है कि वे देश के हित में काम करने वालों का समर्थन करें.

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उन्होंने कहा कि हम देश के हितों के बारे में बात करते हैं और यदि हमारे पास ताकत है तो हम जो सही मानते हैं, उस पर हम जोर देते हैं. यहां छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. हम इसे खुले तौर पर करते हैं.

देश हित से समझौता नहीं

भागवत ने कहा कि संघ जिस बात को देश के हित में समझता है, उस पर जोर देता है. उन्होंने अवैध घुसपैठ के मुद्दे का जिक्र किया और कहा कि उनका संगठन राजनीति से दूर रह सकता है, लेकिन इस तरह के मुद्दे के बारे में बातें करेगा क्योंकि यह देश को प्रभावित करता है.

आरएसएस से वैचारिक रूप से संबद्ध बीजेपी का नाम लिए बिना भागवत ने कहा कि उनके संगठन से अक्सर उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बारे में पूछा जाता है, क्यों उसके कई लोग एक पार्टी में हैं और राजनीति के साथ उसका क्या संबंध है.

बीजेपी में ही क्यों जाते हैं संघ के लोग?

भागवत ने कहा कि यह पूछा जाता है कि उनके इतने सारे लोग एक ही पार्टी में क्यों हैं. यह हमारी चिंता नहीं है. वे अन्य पार्टियों के साथ क्यों नहीं जुड़ना चाहते, यह उन्हें विचार करना है. हम कभी भी किसी स्वयंसेवक को किसी खास राजनीतिक दल के लिए काम करने को नहीं कहते हैं.  

विपक्ष अक्सर आरोप लगाता है कि आरएसएस बीजेपी के माध्यम से राजनीति में दखल देता है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि हिंदुत्व संगठन मोदी सरकार की मदद से संस्थानों पर कब्जा करना चाहता है. 

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बीजेपी स्वायत्तता से काम करे

भागवत ने सीधे बीजेपी का जिक्र नहीं किया और कहा कि कई नेता उनसे बड़े और वरिष्ठ हैं तथा आरएसएस में उनके अनुभव के मुकाबले राजनीति में अधिक अनुभवी हैं. उन्होंने कहा, 'अगर उन्हें सलाह चाहिए और मांगते हैं, तो हम उन्हें देते हैं.' उन्होंने कहा कि आरएसएस चाहता है कि बीजेपी स्वायत्तता से काम करे.

 उन्होंने कहा कि सत्ता का केंद्र संविधान द्वारा तय किया गया है और अगर यह बाहर से निर्धारित होता है तो उनका संगठन इसे गलत मानता है. भागवत ने कहा कि संघ का स्वयंवर राष्ट्रीय हितों से हो चुका है और यह किसी के साथ शत्रुता तथा किसी अन्य के साथ विशेष दोस्ती में भरोसा नहीं करता है.

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