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ब्रसेल्स के मोलेनबीक इलाके में अगर आप अचानक पहुंचेंगे तो आपको यह उसके बाकी के इलाकों जैसा ही लगेगा. यहां की रिहायश में काफी हद तक बिखराव है. लेकिन स्टोर, कैफे और बार यूरोप के दूसरे हिस्सों की तरह बाहरी तौर पर शीशे का आवरण लिए हैं.
वह बात इस जगह को ब्रसेल्स के बाकी इलाकों से जुदा करती है और वह यहां की महिलाओं का पहनावा है. हिजाब खाड़ी के देशों के लिए सामान्य बात हो सकती है, लेकिन यूरोप के मध्य में स्थित यूरोपीय संघ के मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के लिए यह बिल्कुल अलग लगती है.
मोलेनबीक जेंट-जीन, 5.9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला 10 हजार लोगों की रिहायश वाला ब्रसेल्स का एक नगरपालिका इलाका है. एक महीने पहले पेरिस में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से यह इलाका 'आतंक के केंद्र ' के नाम से कुख्यात हो गया है. इसका कारण यह है कि इस हमले में शामिल तीन आतंकवादी इसी जगह से थे. हमले में 130 लोग मारे गए थे.
आतंकियों से जुड़े हैं तार
इस इलाके के तार कई अन्य आतंकवादी घटनाओं से जुड़े हैं, जिनमें स्पेन के शहर मेड्रिड में रेलगाड़ियों में हुआ बम धमाका प्रमुख है. उन धमाकों में 181 लोग मारे गए थे. ये बम अल कायदा से प्रेरित आतंकवादियों ने रेलगाड़ियों में लगाए थे, जो मोलेनबीक में रहते थे.
अफगानिस्तान में तालिबान समर्थक द्वारा मारा गया नार्दर्न एलायंस का सरगना अहमद शाह मसूद यहां रहा था. यही नहीं, कई अन्य छोटे हमलों में मुख्य रूप से शामिल लोग मोलेनबीक में रह चुके हैं. तो क्या कारण है कि इस इलाके से काफी संख्या में जेहादी पैदा होते हैं?
बेरोजगारी में बन रहे जेहादी
ब्रसेल्स पश्चिम (जिसके अंतर्गत मोलेनबीक व पांच अन्य नगरपालिकाएं आती हैं) के पुलिस प्रमुख जोहान दे बेकेर ने कहा, 'यहां के युवाओं के पास काम के मौके नहीं हैं और यही कारण है कि इनमें से कई जेहादी विचारों की ओर आकर्षित हो जाते हैं.'
बेकेर ने कहा कि स्थानीय पुलिस को पेरिस हमलों में शामिल कुछ लोगों के अपराध में लिप्त होने की जानकारी थी, लेकिन यह जानकारी 'छोटे चोरों' के तौर पर थी, न कि बड़े अपराधियों के तौर पर. पेरिस हमले के बाद यहां की पुलिस को अहसास हुआ कि यहां पुलिस की सजग मौजूदगी की जरूरत है और खासतौर पर उन लोगों पर निगाह रखने की सख्त जरूरत है, जो अरब मूल के हैं.
राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस की नियुक्ति
बेकेर ने कहा कि इस इलाके में पुलिस में नियुक्ति राष्ट्रीय स्तर पर की जाती है और अरब मूल के लोगों के लिए पुलिस में जगह पाना मुश्किल है. अरब मूल के लोगों में शिक्षा का स्तर निम्न है और ऐसे में उनके लिए पुलिस की नौकरी पाना और भी मुश्किल है. बेकेर ने कहा, 'हमने चयन प्रक्रिया में बदलाव की वकालत की है और पुलिस को और अधिक धन देने के लिए कहा है.'
इतिहास के गर्भ से
मोलेनबीक में मोरक्कन मूल के 40 फीसदी लोग हैं. 50 और 60 के दशक में बेल्जियम को अपने कोयला खदानों के लिए मजदूरों की जरूरत थी और इसी कारण मोरक्को से युवा व मेहनतकश लोगों को यहां लाया गया था. पहले तो वे यहां खदानों में काम करने के लिए सैकड़ों की संख्या में आए और फिर निर्माण उद्योग में लग गए. उनके परिजन भी उनके पीछे इस काम में लग गए. इनमें से अधिकांश इस इलाके में छोटे अपार्टमेंट में रहते हैं.
बीते दो दशकों में इस इलाके की वित्तीय स्थिति बद से बदतर होती चली गई और यहां रोजगार के न्यूनतम अवसर रह गए. मोलेनबीक की मेयर फ्रांकोइस स्केपमैंस ने सिटी हॉल में बताया, 'कुछ सालों तक राजनीतिक नेताओं ने यहां जमीन तैयार कर रही जेहादी ताकतों को रोकने में लापरवाही दिखाई. हम यहां हाशिये पर जीवन गुजार रहे मोरक्को के मुसलमानों को उपयुक्त सहयोग नहीं दे सके हैं, जिसकी उन्हें जरूरत है और मेरी नजर में जो जरूरी भी है.'
शिक्षा की कमी के कारण रोजगार से महरूम
स्केपमैंस ने कहा कि मोरक्को के युवाओं में शिक्षा की कमी है और इस कारण वे रोजगार पाने से महरूम हो जाते हैं. यहां के कई युवा सहायतार्थ सहयोग पर आश्रित हैं, जो एक तरह से उनके अंदर निराशा भर रहा है. यहां के रिहायशी इलाकों में स्थित कुछ अनौपचारिक मस्जिद जेहाद फैलाने के केंद्रों के तौर पर काम करते हैं. ऐसे मस्जिदों की संख्या 25 के करीब है और यह हमारे लिए समस्या नहीं है, लेकिन मैं पूरे मोलेनबीक को 'आतंक का केंद्र' पुकारे जाने का विरोध करती हूं.
स्केपमैंस ने कहा, 'हमें निश्चित तौर पर इन अनौपचारिक मस्जिदों में जारी कार्यों पर नियंत्रण की जरूरत है. साथ ही हमें इस इलाके के विकास के लिए और अधिक धन की जरूरत है. इसमें शिक्षा प्रमुख है. साथ ही सामुदायिक कार्यों पर भी खर्च किया जाना चाहिए, जिससे कि यहां के युवाओं को समाज से जोड़ा जा सके.'
मेयर ऑफिस के निकट रहते थे आतंकी
टाउनहॉल (जहां मेयर बैठती हैं), उस स्थान से बेहद करीब है जहां पेरिस हमले में शामिल तीन में से दो आतंकवादी रहा करते थे. इब्राहिम अब्देसलाम ने पेरिस हमले में खुद को उड़ा लिया था. इब्राहिम के भाई की दुकान ला मैसन दू सारी (साड़ी घर) में काम करने वाले पाकिस्तान के नासिह आतिक ने कहा कि इब्राहिम अक्सर मस्जिद जाया करता था. आतिक ने कहा कि वह अक्सर इब्राहिम को देखा करते थे, लेकिन उससे कभी बात नहीं हुई.
इब्राहिम का भाई सालाह अब्देसलाम फरार है. उसने ब्रसेल्स में कार किराए पर दी थी और पुलिस का कहना है कि बाटाक्लान कंसर्ट हॉल में 89 लोगों की हत्या करने वाले बंदूकधारियों ने इसी कार की मदद ली था. सालाह साड़ी हाउस के बगल में रहता है. आतिक के मुताबिक, हमलों से पहले वह रोजाना ही सालाह को देखा करता था. बकौल आतिक, 'वह दूसरे युवाओं की तरह ही था. वह धार्मिक तो बिल्कुल भी नहीं था. उसे मोटरसाइकिल पर चलना पसंद था.'
कम हो गया ग्राहकों का आना
मोलेनबीक में साड़ी की दो दुकानें चलाने वाले आतिक के भाई दानिश आतिक ने कहा कि शुरुआत के कुछ दिनों में पुलिस हर जगह थी. घरों को सील कर दिया गया था और पड़ोसियों से पूछताछ की गई थी, लेकिन एक महीने के अंदर सब कुछ पहले जैसा हो गया. एक बात सिर्फ सामान्य नहीं हुई और वह यह कि दुकानों में ग्राहकों का आना कम हो गया है.
दानिश ने कहा कि मोरक्को से आए लोग ही उनके ग्राहक हैं और अगर इनमें से कुछ लोग आतंकवादी हो जाते हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि लोग पूरे इलाके को बदनाम करें. दानिश के मुताबिक, यह संघीय पुलिस की भी कमी है कि वह मोलेनबीक में रह रहे पेरिस हमलों के मास्टरमाइंड अब्देलहामिद अबाउद का पता नहीं लगा सकी. अबाउद तो सीरिया जाकर लौटा था. दानिश ने कहा, 'अगर आपके लोग सीरिया से लौट रहे हैं तो फिर गुप्तचर एजेंसियां क्या कर रही थीं?
...और बदल गया इलाके का रवैया
मोलेनबीक के काउंसिल सदस्य हसन राहाली ने कहा कि इस इलाके को गलत नाम देने से इसकी समस्याएं खत्म नहीं होंगी. राहाली ने कहा, 'बहुत कम लोगों को उग्रपंथी बनाया गया है और अधिकारियों को इसकी जानकारी थी. ऐसे में उनके खिलाफ पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई?'
पुलिस की भारी मौजूदगी और छापों ने यहां के स्थानीय लोगों की मानसिकता पर असर डाला है. यहां के लोअर एरिया में लोग अपनी फोटो खींचे जाने पर आपत्ति करते हैं और इंटरव्यू से इनकार करते हैं. मुस्तकबल मस्जिद में शाम की नमाज के लिए जमा होने वाले लोगों को भी फोटोग्राफी से ऐतराज है. कई युवा लोगों ने बिना अनुमति के ली गई तस्वीरों को मिटाने की भी मांग की. यही नहीं, उन्होंने मस्जिद प्रमुख के साथ बैठक की भी अनुमति नहीं दी, जो उस समय नमाज का नेतृत्व कर रहे थे.
खो गए सुकून के पल
उनकी इन तमाम हरकतों का अर्थ समझा जा सकता है. कई सप्ताह तक इन लोगों ने सुकून के पल नहीं देखे. पुलिस की छापेमारी दर छापेमारी के कारण उनकी जिंदगी सामान्य नहीं रह गई थी. कुछ इलाकों में तो घटना के एक महीने बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है.
मोलेनबीक में बीते 15 साल से एक छोटा सा होटल चला रहे साद बेनैसा ने कहा कि प्लेस दे ला डचेज (जहां उनकी दुकान स्थित है) को इस घटना से सबसे अधिक नुकसान हुआ. बकौल बेनैसा, 'पहले काफी अच्छा व्यवसाय था. अब इसमें तेजी से गिरावट आई है. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या किया जाए. मैं कहीं और नहीं जा सकता.'
यह मोलेनबीक के अधिकांश निवासियों के लिए एक सच्चाई है. इन लोगों ने तूफान को रास्ता देने के लिए अपना सिर झुका लिया था. यूरोप में दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से आतंकवाद के पर्यायवाची के तौर पर उभरे इस इलाके में जेहादी तत्वों को एक तरह से संरक्षण दे रहे अधिकारियों के लिए पेरिस हमला एक आंख खोलने वाली घटना है.
-इनपुट IANS से