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राजस्थान के मेवात क्षेत्र में खनन माफियाओं का खौफ किस कदर बढ़ता जा रहा है इसकी बानगी तब देखने को मिली जब प्रदेश के खुफिया विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) उत्कल रंजन साहू ने अलवर के एसपी विकास कुमार को हाल ही चिट्ठी लिखकर खनन माफियाओं से सतर्क रहने को कहा. चिट्ठी में कहा गया था, ''अलवर में अपराधियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से खनन माफियाओं और मेव कट्टर पंथियों में नाराजगी है. उनसे आपकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है. '' दरअसल कुमार ने अलवर में अवैध खनन के खिलाफ सघन अभियान चला रखा है. जनवरी 2014 से अब तक उन्होंने अवैध खनन के खिलाफ एक हजार से अधिक कार्रवाई की और सात सौ से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. फिर भी अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली जिले में अवैध खनन का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. यहां खनन माफियाओं की आपस में या पुलिस से आए दिन हिंसक झड़पें होने लगी हैं.
बीती 2 अप्रैल को भरतपुर जिले के पहाड़ी थाना क्षेत्र के नागल क्रेसर जोन में खनन माफियाओं के दो गुटों में हुई झड़प में दो लोगों की मौत हो गई थी जबकि पांच अन्य घायल हो गए थे. इस घटना के कुछ ही दिन पहले, 18 मार्च को करौली जिले के मासलपुर थाना क्षेत्र में खनन रोकने गई पुलिस पर खनन माफियाओं ने हमला कर दिया था. यहां से पुलिस ने पत्थरों से भरा एक ट्रक और खनन मशीन जब्त की थी. अवैध खनन के मुख्य केंद्र अलवर में तीन साल में खनन माफिया ने पचास से ज्यादा बार पुलिस और वन विभाग के दल पर हमला किया है. 16 फरवरी को अलवर के ही राजगढ़ क्षेत्र में अवैध खनन की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन ग्रीन अभियान के दौरान झोपड़ी नांगल गांव के पास अवैध खनन कर पत्थर ले जा रहे दो ट्रैक्टर चालकों ने वन विभाग की सरकारी गाड़ी को पचास फुट तक घसीट दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद बेहद हिंसक हो चुके खनन माफिया अलवर स्थित अरावली की पहाडिय़ों में अवैध खनन लगातार जारी रखे हुए हैं. अवैध खनन की वजह से ही भिवाड़ी, टपूकड़ा, तिजारा और किशनगढ़बास क्षेत्र से पहाडिय़ां गायब होती जा रही हैं. अलवर में डीएफओ रह चुके पी.काथिरवेल के आकलन के मुताबिक भिवाड़ी क्षेत्र में खनन माफियाओं ने बीते 15 साल में 50 हजार करोड़ रु. का अवैध खनन किया है और खनन इसी रफ्तार से जारी रहा तो इस क्षेत्र के पहाड़ तीन साल में खत्म हो जाएंगे. वन विभाग की ही एक रिपोर्ट बताती है कि टपूकड़ा क्षेत्र के चूहड़पुर, उधनवास, उलावट, ग्वालदा, इंदौर, सारे कलां, सारे खुर्द, खोहरी कलां, मायापुर, छापुर, नाखनौल, कहरानी, बनबन, झिवाणा, निंबाड़ी में हरियाणा के माफिया भी व्यापक स्तर पर फैले हुए हैं. और यहां के करीब एक हजार हैक्टेयर इलाके में पहाड़ खत्म हो चुके हैं. यहां पहाड़ों के खत्म होने के कगार पर पहुंचने के बाद माफियाओं ने तिजारा और किशनगढ़बास में अपना कारोबार फैलाया और नीमली, बाघोर, देवता, मांछा क्षेत्र के पहाड़ों में खनन शुरू कर दिया है.
काथिरवेल के मुताबिक, 1998 से 2003 के बीच एक हजार वाहनों से प्रति दिन दो ट्रिप के हिसाब से छह हजार करोड़ रु. का अवैध खनन हुआ. इसी तरह 2003 से 2008 के बीच 12 हजार करोड़ रु. और 2008 से 2013 के बीच 30 हजार करोड़ रु.का अवैध खनन हुआ है.
खनन रोकने में सबसे बड़ी परेशानी है इस कारोबार से जुड़े लोगों के पास भारी मात्रा मंड विस्फोटक और अवैध हथियारों का होना, जिनके मुकाबले पुलिस के संसाधन पर्याप्त नहीं हैं. धौलपुर के एसपी राजेश सिंह कहते हैं, ''खनन माफिया के लोग गुट बनाकर चलते हैं. ये लोग खनन के रास्ते में आने वाले की जान लेने से परहेज नहीं करते चाहे वह कितना बड़ा अधिकारी ही क्यों न हो. ''
हिंसक रुख अख्तियार कर चुके खनन माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब उनके डंपर पुलिस चौकी, थानों और वन विभाग की चौकियों के सामने से बेखौफ निकलते हैं. और अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने से वे डरते नहीं.