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मानसून की वापसी अगले तीन-चार दिनों में होगी शुरू

हवाओं में नमी की बात करें तो ये 20 फीसदी से नीचे जा चुकी है. कुल मिलाकर मानसून ने अपना बोरिया-बिस्तर समेटना शुरू कर दिया है. ऐसी स्थिति में इस बात की पूरी संभावना है कि अगले कुछ दिनों में राजस्थान से मानसून वापसी की घोषणा कर दी जाए.

राजस्थान से होगी मानसून की वापसी राजस्थान से होगी मानसून की वापसी
प्रियंका झा/सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 10:41 PM IST

मौसम विभाग के मुताबिक मानसून की वापसी अगले तीन-चार दिनों के अंदर शुरू हो जाएगी. ताजा आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान के पश्चिमी हिस्से के ऊपर हवाओं की दशा और दिशा दोनों ही बदल चुकी है. पुरबैया हवाओं की जगह अब पछुआ हवाएं चुकी हैं. आसमान साफ है और पिछले एक सप्ताह से यहां पर बारिश का नामोनिशान नहीं है. हवाओं में नमी की बात करें तो ये 20 फीसदी से नीचे जा चुकी है. कुल मिलाकर मानसून ने अपना बोरिया-बिस्तर समेटना शुरू कर दिया है. ऐसी स्थिति में इस बात की पूरी संभावना है कि अगले कुछ दिनों में राजस्थान से मानसून वापसी की घोषणा कर दी जाए.

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मानसूनी हवाओं में आई तेजी
मौसम विभाग के डायरेक्टर आर विशेन के मुताबिक मानसून की वापसी के लिए राजस्थान में स्थितियां अनुकूल हैं. मानसून वापसी का एक खास सिग्नेचर है पश्चिमी राजस्थान के ऊपर एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनना. इस समय इस इलाके के सैटेलाइट डेटा और राडार डेटा में एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन के बनने के पूरे संकेत मिल रहे हैं. दूसरी तरफ मानसून का अक्ष भी जम्मू, चंडीगढ़, इटावा, सतना, भवानीपटना होता हुआ उत्तरी अंडमान तक जा रहा है. मानसून के अक्ष में हवाओं की ताकत कम पड़ती नजर आ रही है. दूसरी तरफ पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी पर बने कम दबाव के क्षेत्र की वजह से दक्षिण और मध्य भारत में मानसूनी हवाओं में तेजी देखी जा रही है. लेकिन इन हवाओं का असर उत्तर-पश्चिम भारत तक आता नही दिखाई पड़ रहा है.

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एक सितंबर से शुरू हो जाती है वापसी की प्रक्रिया
मौसम विभाग के मुताबिक आमतौर पर मानसून वापसी की प्रक्रिया 1 सितंबर के बाद से शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार हवाओं के रुख में तब्दीली थोड़ा देर से आ रही है. मौसम विभाग के डीडीजीएम बी पी यादव के मुताबिक मानसून की वापसी एक क्रमिक प्रक्रिया है. वापसी सबसे पहले पश्चिमी राजस्थान से शुरू होती है और उसके बाद राजस्थान के बाकी इलाकों, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और पूर्वोत्तर भारत से मानसून की वापसी होती है. इसके बाद दक्षिण भारत और पश्चिम भारत के तटीय इलाकों से मानसून की वापसी होती है. इस पूरी प्रक्रिया को होने में 15 अक्टूबर तक का वक्त लगता है. उसके बाद दक्षिण भारत खासतौर पर तमिलनाडु में नवंबर तक शीतकालीन मानसून की बारिश का दौर शुरू हो जाता है.

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