
संसद के मॉनसून सत्र का आज दूसरा दिन है. दूसरे दिन राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, पिछले 2 वर्षों में देश के बाहर इतना पैसा गया है, जितना दशकों में नहीं गया. पिछले 2 वर्षों में स्विस बैंकों में पैसा बढ़ा है. आपने कहा था ये पैसा लोगों के अकाउंट में जमा होगा, लेकिन इसके उलट ये पैसा भारत के बाहर चला गया.
आनंद शर्मा ने कहा, 'सच्चाई यह है कि आपकी एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया. क्या राष्ट्र में दो कानून हैं? एक राजनीतिक दृष्टिकोण से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए लागू किया गया और दूसरा अपने खुद के लोगों के लिए जिन पर गंभीर आरोप हैं.'
आनंद शर्मा ने कहा, 'मंत्री बताएं कि अबतक कितने भ्रष्टाचारियों को आपने पकड़ा है. शर्मा ने कहा कि एक बड़ा आंदोलन हुआ था भ्रष्टाचार के खिलाफ, लेकिन सरकार आज बताए कि 4 साल में लोकपाल क्यों नहीं बना.'
उन्होंने कहा, 'क्या देश के जांच एजेंसियां सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए ही हैं या फिर देश से पैसा लेकर भागने वालों के खिलाफ भी कुछ कर रही है. उन्होंने कहा कि पहले आप CAG की रिपोर्ट का हवाला देते थे लेकिन क्या आज उसकी रिपोर्ट देखते हैं. शर्मा ने कहा कि सरकारी एजेंसियों का ऐसा दुरुपयोग पहले हमने कभी नहीं देखा, जैसा इन दिनों हो रहा है.'
आनंद शर्मा ने कहा, 'राज्यसभा में कहा कि बैंकों का पैसा लेकर भागने वालों के साथ आपके प्रधानमंत्री की फोटो हैं, हमारे नहीं और वह पूरी दुनिया ने देखी हैं. कोई कांग्रेसी नेता कैमरा लेकर दावोस में फोटो लेने नहीं गया. उन्होंने कहा कि राफेल से लेकर सरकार के कई समझौतों पर सवाल उठे हैं. शर्मा ने कहा कि अगर सही मायने में कानूनों का पालन किया जाए तो नए कानूनों की जरूरत नहीं होगी.'
राज्यसभा सांसद ने कोयला घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि 'उस दौर में कोयला घोटले में प्रधानमंत्री तक को घेरा गया, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी आरोपों को गलत माना. उन्होंने कहा कि हम विपक्ष में हैं सिर्फ इस वजह से नहीं कह रहा लेकिन जनता का पैसा बैंकों में सुरक्षित नहीं, जो पैसा लेकर भाग गए वह पकड़े नहीं गए.'
आनंद शर्मा ने कहा, 'कानून लाने भर से भ्रष्टाचार मुक्त भारत नहीं बनता. उन्होंने कहा कि 2014 में माहौल बनाया गया कि देश के अंदर कानून का पालन नहीं हो रहा, एक सुनियोजित तरीके से अभियान चलाकर यूपीए सरकार को बदनाम किया गया. यहां तक ही उस वक्त के प्रधानमंत्री पर भी छींटे डाले गए.'