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सर्वे: नोटबंदी, GST, महंगाई और रोजगार पर फेल रही मोदी सरकार

देश के सबसे बड़े न्यूज चैनल "आज तक" ने सियासी मिजाज को समझने के लिए एक बड़ा सर्वे किया गया. आजतक ने देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों से उनकी राय जानी गई.

देश का मिजाज देश का मिजाज
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:59 PM IST

देश के सबसे बड़े न्यूज चैनल 'आज तक' ने सियासी मिजाज को समझने के लिए एक बड़ा सर्वे किया गया. आजतक ने देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों से उनकी राय जानी. 30 दिसंबर 2017 से नौ जनवरी 2018 के बीच किए गए इस सर्वे में कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं.

बेरोजगारी और महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा?

देश में अगर आज आम चुनाव होते हैं, तो किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा और किसे देखना होगा हार का मुंह, इस पर लोगों ने अपनी राय बताई. सर्वे के मुताबिक मौजूदा समय में सबसे अहम मुद्दों पर किए गए सवाल के जवाब में जनता का मानना है कि देश के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. बेरोजगारी को मुद्दा बनाने के लिए 29 फीसदी लोगों ने वोट दिया.

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बेरोजगारी के बाद महंगाई और भ्रष्टाचार दूसरे और तीसरे नंबर पर सबसे अहम मुद्दे हैं. जहां महंगाई के लिए 23 फीसदी लोगों ने अपना मत दिया वहीं भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बताने के लिए 17 फीसदी लोगों ने अपना मत दिया. इसके अलावा 6-6 फीसदी लोगों ने महिलाओं की सुरक्षा और किसानों की हालत को भी बड़ा मुद्दा कहा है.

अर्थव्यवस्था का स्वास्थ?

इस सर्वे के अगले अहम सवाल में जानने की कोशिश की गई कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या है. इस सवाल के जवाब में 56 फीसदी लोगों का मानना है कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मोदी सरकार ने पूर्व की यूपीए सरकार से बेहतर काम किया है. हालांकि 16 फीसदी लोगों का यह भी मानना है कि दोनों मोदी सरकार और यूपीए कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की हालत एक जैसी है. बाहरहाल, 21 फीसदी लोगों का यह मानना है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की हालत यूपीए सरकार के कार्यकाल से ज्यादा खराब है और 6 फीसदी लोगों ने इस सवाल के जवाब में अपनी कोई राय नहीं दी है.

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महंगाई की मार?

सर्वे में 23 फीसदी लोगों ने महंगाई को बड़ा मुद्दा घोषित किया है वहीं 69 फीसदी लोगों का मानना है कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान जरूरी उपभोक्ता सामग्री की कीमतों में इजाफा हुआ है. वहीं 21 फीसदी लोगों ने कहा है कि कीमतें जस की तस हैं तो 8 फीसदी लोगों का यह भी दावा रहा कि कीमतों में गिरावट दर्ज हुई है.

जीएसटी के बाद महंगाई?

वहीं जीएसटी लागू होने के बाद देश में महंगाई के आलम पर पूछे गए सवाल के जवाब में 49 फीसदी लोगों का मानना है कि जीएसटी के बाद कीमतों में इजाफा देखने को मिला है. हालांकि 15 फीसदी का कहना है कि कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ तो 32 फीसदी ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद कीमतों में गिरावट देखने को मिली है.

नौकरी लाने में फेल हुई सरकार?

आजतक के इस देश का मिजाज सर्वे में सवाल किया गया कि क्या केन्द्र में मोदी सरकार ने रोजगार के संसाधन पैदा करने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं? इस सवाल के जवाब में जहां 30 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया है वहीं 53 फीसदी लोगों का दावा है कि केन्द्र सरकार ने रोजगार पैदा करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. हालांकि 17 फीसदी लोगों ने इस सवाल के जवाब में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. वहीं इसी से जुड़े सवाल कि क्या केन्द्र सरकार नई नौकरी पैदा कर पाई है के जवाब में 58 फीसदी ने नहीं कहा है तो 13 फीसदी ने हां में जवाब दिया है. वहीं 27 फीसदी का यह मानना है कि देश में नई नौकरी की स्थिति यूपीए सरकार के कार्यकाल जैसी ही है.

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GST पास या फेल?

सर्वे के सवाल कि देश में जीएसटी लागू करने का देश को फायदा मिला है या फिर नुकसान देखने को मिला है के जवाब में 17 फीसदी लोगों ने कहा कि देश को फायदा हुआ है. वहीं 38 फीसदी लोगों ने कहा कि जीएसटी से देश को नुकसान उठाना पड़ा है तो 37 फीसदी लोगों का मानना है कि स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इस सवाल के जवाब में 7 फीसदी लोगों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

नोटबंदी, जीएसटी और गुजरात जीत

आतजक सर्वे की तरफ से सवाल किया गया कि क्या गुजरात विधानसभा चुनावों के नतीजों से नोटबंदी और जीएसटी के फैसलों को सही ठहराया जा सकता है. इस सवाल के जवाब में 47 फीसदी लोगों ने कहा कि गुजरात की जीत केंद्र सरकार के इन फैसलों पर मुहर लगाती है तो 40 फीसदी ने इसके उलट राय रखी. इस सवाल के जवाब में 13 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी है.

नोटबंदी: नफा या नुकसान?

आजतक सर्वे के एक अहम सवाल में पूछा गया कि केन्द्र सरकार द्वारा नवंबर 2016 में लिया गया नोटबंदी का फैसला आम आदमी के लिए नुकसान का सबब बना या फिर उसे इस कदम का फायदा मिला है? इस सवाल के जवाब में 73 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें नोटबंदी के फैसले से नुकसान उठाना पड़ा वहीं 22 फीसदी लोगों का मानना है कि फैसले से उन्हें फायदा पहुंचा है. इस सवाल का 5 फीसदी लोगों ने जवाब नहीं दिया है.

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