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आर्थिक सुस्ती का सामना कर रहे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक और नकारात्मक खबर आई है. रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने भारत के बारे अपने आउटलुक यानी नजरिए को 'स्टेबल' (स्थिर) से घटाकर 'नेगेटिव' कर दिया है.
मूडीज का कहना है कि पहले के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था में जोखिम बढ़ गया है, इसलिए उसने अपने आउटलुक में बदलाव किया है. मूडीज के आउटलुक से इस बात का अंदाजा मिलता है कि किसी देश की सरकार और वहां की नीतियां आर्थिक कमजोरी से मुकाबले में कितनी प्रभावी हैं.
गौरतलब है कि इसके पहले अक्टूबर में ही मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया था. पहले मूडीज ने जीडीपी में 6.2 फीसदी की ग्रोथ होने का अनुमान जारी किया था.
इसके पहले भी कई रेटिंग एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त और यहां के नजरिए के बारे में अपने अनुमान को घटा चुकी हैं. अप्रैल से जून की तिमाही में भारत के जीडीपी में बढ़त महज 5 फीसदी रही है, जो 2013 के बाद सबसे कम है.
कमजोर मांग और सरकारी खर्च घटने की वजह से अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ नहीं पा रही. एक साल पहले की समान अवधि में जीडीपी में ग्रोथ 8 फीसदी की हुई थी.
अक्टूबर महीने में रेटिंग एजेंसी फिच ने इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 के लिए सकल घरेल उत्पाद (GDP) में बढ़त के अनुमान को घटाकर सिर्फ 5.5 फीसदी कर दिया. फिच ने कहा कि बैंकों के कर्ज वितरण में भारी कमी आने की वजह से ग्रोथ रेट छह साल के निचले स्तर पर पहुंच सकता है.
यह ग्रोथ अनुमान में बड़ी कमी है, क्योंकि इसके पहले जून में फिच ने वित्त वर्ष के लिए जीडीपी में 6.6 फीसदी की बढ़त होने का अनुमान जारी किया था.
सितंबर महीने में रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने दावा किया था कि भारत में आर्थिक सुस्ती अंदेशे से ज्यादा व्यापक और गहरा रहा है. तब क्रिसिल ने भी जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया था. क्रिसिल के मुताबिक 2019-20 में देश की जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है.
बता दें कि मोदी सरकार ने अगले पांच साल में देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए लगातार कई साल तक सालाना 9 फीसदी की ग्रोथ रेट होनी चाहिए.