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बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने तीन और पंचवर्षीय लॉ डिग्री कोर्स के लिए क्रमश: 30 और 20 की उम्रसीमा निर्धारित की है. उसने मद्रास हाई कोर्ट के ऑर्डर को बहाल रखा है.
इस सर्कुलर के बाद लॉ करने की इच्छा रखने वाले कैंडिडेट और कॉलेज हैरान हैं. काउंसिल द्वारा जारी पत्र इस बात की ताकीद करता है कि अलग-अलग कोर्स में दाखिले की चाह रखने वाले उम्मीदवारों को लीगल एजुकेशन रूल्स 2008 की धारा 28 के हिसाब से चलना होगा. इसके अनुसार पंचवर्षीय इंटीग्रेटेड प्रोग्राम के लिए अधिकतम उम्र सीमा 20 वर्ष तो वहीं तीन वर्षीय लॉ डिग्री के लिए अधिकतम उम्र सीमा 30 वर्ष तय की गई है.
इस पूरे मामले पर एक लॉयर का कहना है कि काउंसिल बॉम्बे, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के ऑर्डर पर विचार करने में फेल रही है.
यह सर्कुलर 17 सितंबर को जारी किया गया. पहले चरण की एडमिशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं. राज्य की संस्था की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है. बार काउंसिल ने उम्र सीमा का मामला राज्य के जिम्मे छोड़ दिया है. राज्य ने अपने एडमिशन नियमावली में ऐसी कोई अहर्ता नहीं रखी क्योंकि उन्होंने पहले से ऐसी कोई सूचना नहीं जारी की थी.
इस मामले पर राज्य के एक अधिकारी का कहना है कि यह नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है. उन्होंने इसके बाबत सरकार को कोई आदेश नहीं दिए हैं.
बार काउंसिल के अधिकारी सतीश देशमुख का कहना है कि काउंसिल ने कॉलेजों को कोई भी छूट देने की बात नहीं कही है. अगर कॉलेज ऐसे स्टूडेंट्स को दाखिला देती है और वे 4 माह बाद निरीक्षण पर अनियमितता पाते हैं तो लीगल एजुकेशन पैनल ऐक्शन ले सकती है.