
भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर सरकार भले ही बड़े दावे कर रही हो, लेकिन इन दावों पर शक भी किया जा रहा है. इस बार आंकड़ों पर शक जाहिर करते हुए मॉर्गन स्टेनली के मुख्य वैश्विक रणनीतिकार रुचिर शर्मा ने कहा कि इन्हें ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अधिक निजी निवेश की जरूरत है.
बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया जीडीपी का आंकड़ा
शर्मा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत के जीडीपी का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है.’ भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2015-16 की चौथी तिमाही के दौरान 7.9 फीसदी रही जिससे उसी वित्त वर्ष में कुल सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर पांच साल के उच्चतम स्तर 7.6 फीसदी पर रही. मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का इस साल मुद्रास्फीति को पांच फीसदी पर लाने का फैसला उभरते बाजार की अर्थव्यवस्थाओं के औसत के अनुरूप है.
मुद्रास्फीति कम रहते हुए भी कुछ देशों ने की तरक्की
उन्होंने कहा, ‘अगर आप चीन, कोरिया, ताइवान विश्व की सबसे सफल अर्थव्यवस्थाओं पर नजर डालें जिन्होंने तेजी से वृद्धि दर्ज की है, तो स्पष्ट होता है कि उन्होंने उस दौरान काफी तेजी से वृद्धि की जबकि मुद्रास्फीति कम थी.’
शर्मा ने कहा, ‘उच्च मुद्रास्फीति के साथ कोई भी अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन नहीं करती. इसलिए इन देशों की सारी चमत्कारिक अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति उभरते बाजार के औसत से कम रही है.’
घटा चीन का भी निर्यात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया पहल का हवाला देते हुए शर्मा ने बाजार हिस्सेदारी में बढ़त के महत्व को रेखांकित किया, क्योंकि चीन का निर्यात घट रहा है और यह अधिक महंगा होता जा रहा है, वहां वेतन भी बढ़ा है. जिन देशों को लाभ हो रहा है उनमें वियतनाम, बांग्लादेश और कम्बोडिया शामिल हैं.
उम्मीदों पर काबू रखे भारतीय बाजार
शर्मा ने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में भारतीय बाजार में दृढ़ता से तेजी आएगी. उन्होंने सलाह दी कि हमें अपनी उम्मीदों पर नियंत्रण रखना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा कहता हूं कि भारत ऐसा देश जो आशावादियों और निराशावादियों को हमेशा निराश करता है.’
शर्मा ने कहा कि हालांकि वैश्वीकरण की प्रक्रिया के तौर पर भारत में पूंजी प्रवाह कम हुआ है लेकिन एफडीआई प्रवाह भारत में बढ़ा है जो भारत के बारे में बेहद सकारात्मक संभावना है.