कलाकारः आमिर खान, अनुष्का शर्मा, सौरभ शुक्ला और बमन ईरानी
डायरेक्टर: राजकुमार हिरानी
रेटिंगः 4.5 स्टार
आमिर खान और राजकुमार हिरानी की जोड़ी जो न करे वह कम है. ऐसा ही कुछ 'पीके' के बारे में भी कह सकते हैं. ऐसे दौर में जब धर्म जैसे मुद्दे समाज में काफी तेजी से तैर रहे हैं. ऐसे समय में जब धर्म के ठेकेदार सलाखों के पीछे जा रहे हैं. ऐसे समाज में जो धर्म को लेकर बहुत ही ज्यादा संवेदनशीलता से गुजर रहा है, उसमें इस तरह की फिल्में आना वाकई डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और ऐक्टर की ऊंची सोच की ओर इशारा करती है. यह ऐसी फिल्म है, जो आज के दौर को बखूबी बयान करती है. धर्म के ठेकेदारों की धज्जियां उड़ाती है. जो बताती है कि यह डर ही है जिसके नाम पर धर्म का कारोबार फैल रहा है और इसे बखूबी फैलाया जा रहा है. पीके बताता है कि आज समाज में दो भगवान हो चुके हैं, एक तो वह जो इनसान बनाता है और एक वह जो इनसान को बनाता है. और वह सिखाता है कि पूजा उस भगवान की करनी चाहिए जिसने इनसान को बनाया है. राजकुमार हिरानी ने इस बात को बखूबी सिद्ध कर दिया है कि सब्र का फल मीठा होता है.
मनोरंजन के साथ सॉलिड संदेश भी दिया जा सकता है.
कहानी में कितना दम
एक एलियन (आमिर खान) धरती पर आ जाता है. धरती पर उसके सवालों को सुन लोग उसे पीके कहने लगते हैं. वह धरती को गोला कहता है औऱ हर बात को तर्क की कसौटी पर कसता है. उसकी मुलाकात एक टीवी पत्रकार (अनुष्का शर्मा) से होती है. वह उसकी कहानी सुनती है. पहले यकीन नहीं करती और जब यकीन करती है तो उसके बाद कई सचाइयां सामने आती हैं. फिल्म में एक धर्म गुरुओं का सताया टीवी चैनल मालिक (बमन ईरानी) है तो एक पाखंडी गुरु (सौरभ शुक्ला) भी है. बस, पूरी फिल्म सॉलिड कहानी लेकर चलती है. जिसमें तर्कों औऱ हकीकत के जरिये धर्मांधता और अंधानुकरण को दूर करने की कोशिश की जाती है. कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि भाषण या संदेश देने की कोशिश की जा रही है. फिल्म में कहानी है. शुरू से लेकर अंत कर ठहाके लगाने के सैकड़ों मौके हैं. कहानी कहीं भी दिमाग को फिल्म से दूर होने का मौका नहीं देती है. एडिटिंग भी कसावट भरी है. पाखंडी बाबाओं की धज्जियां उड़ाने वाली फिल्म ओह माय गॉड आ चुकी है. पीके उसी तरह के संदेश को लेकर चलती है, लेकिन राजकुमार हिरानी के अंदाज में. इसका समय और ट्रीटमेंट दोनों फिल्म को एकदम अलग बना देते हैं. हालांकि दोनों फिल्मों में कोई तुलना नहीं है.
स्टार अपील
आमिर खान ने सिद्ध कर दिया है कि वे जब भी राजकुमार हिरानी के साथ आएंगे तो ऐसा सिनेमा लेकर आएंगे जिसे देखकर हर वर्ग और उम्र का ऑडियंस उससे जुड़ेगा. 'पीके' ऐसी ही फिल्म और कैरेक्टर है. वह बहुत ही सहजता के साथ आते हैं. भोजपुरी बोलते हैं और इस रंग-बिरंगी दुनिया को जानने की कोशिश करते हैं. वे रोल में इस कदर उतर जाते हैं कि हर सीन में मजा आता है. पूरी फिल्म में वह जान डाले रखते हैं और ऐक्टिंग में लाजवाब. अनुष्का शर्मा ने भी उनका अच्छा साथ दिया है. सुशांत सिंह राजपूत भी छोटे-से रोल में ठीक हैं. सौरभ शुक्ला पाखंडी बाबा के किरदार में मस्त हैं और बमन ईरानी भी ठीक हैं.
कमाई की बात
पीके को लेकर मार्केट में पहले सी ही काफी हाइप है. हर दर्शक वर्ग में इसे लेकर जबरदस्त क्रेज भी है. जबरदस्त प्री बुकिंग है. सिंगल स्क्रीन थिएटर में पहला दिन और पहला शो देखने पर इस बात का इशारा मिल जाता है कि आमिर फ्रंट रो से लेकर बालकनी तक के दर्शकों को सीटी बजाने और तालियां बजाने के लिए मजबूर कर सकते हैं. फिल्म बडी बजट और लंबे समय से बन रही थी. इसने पहले ही काफी जबरदस्त मजबूती दर्ज करा ली है. यूथ से लेकर हर आयु वर्ग के लिए बेहतरीन कनेक्ट है. मौजूदा सचाई है. हकीकत दिखाने की कोशिश है. लेकिन सब कुछ राजकुमार हिरानी स्टाइल में. फिर फिल्म की स्टोरीलाइन छिपाकर रखी गई है, इस वजह से ज्यों-ज्यों लोग इस फिल्म को देखेंगे वर्ड ऑफ माउथ पब्लिसिटी काफी काम करेगी. फिर जैसा एक बाहर निकल रहा दर्शक कह रहा था,
“भाई, अब तो तीन बजे का शो भी देखने आना पड़ेगा.”